देहरादून:चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध के बावजूद राजभवन से देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी मिल गई है. इस विधेयक के अनुसार बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और अन्य मंदिर बोर्ड के नियंत्रण में रहेंगे. हालांकि, तीर्थ पुरोहित सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी का मानना है कि बोर्ड गठन के बाद तीर्थ पुरोहितों के हक हकूक को नुकसान नहीं पहुंचेगा. इस पर कांग्रेस का कहना है कि अगर उनकी पार्टी 2022 में वापसी करेगी तब इस कानून को समाप्त कर देगी.
प्रदेश में देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 का तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध करते नजर आ रहे हैं, ऐसे में मसूरी बीजेपी विधायक गणेश जोशी का कहना है कि तीर्थ पुरोहितों को अगर लग रहा है कि देवस्थानम बोर्ड से उनके हितों का नुकसान होगा, तो ऐसे में उनका विरोध करना स्वाभाविक बात है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने खुद स्पष्ट किया है कि बोर्ड के गठन से तीर्थ पुरोहितों के हक हकूकों को कोई नुकसान नहीं होगा.
गणेश जोशी ने कहा कि देश में जहां-जहां श्राइन बोर्ड है वहां व्यवस्थाएं बेहद अच्छी हैं, तिरुपति और वैष्णो देवी इसका जीता जागता उदाहरण है. देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को लाभ मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया होगा. अभी तो देवस्थानम बोर्ड की स्वीकृति राज्यपाल से मिली है, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है. अगर तीर्थ पुरोहितों को लगता है कि बोर्ड के होने से उनके हक हकूकों को नुकसान पहुंचेगा तो वे अपनी बात सामने रख सकते हैं, जिसका समाधान किया जाएगा.