उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

चारधाम प्रोजेक्ट की दो लेन की सड़क को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, चीन बॉर्डर तक आसानी से पहुंचेगी सेना

केंद्र की मोदी सरकार और उत्तराखंड की धामी सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट से अच्छी खबर आई है. चारधाम परियोजना (Char Dham project) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की हरी झंडी मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऑल वेदर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना (all weather road) में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने की इजाजत दे दी है. इसके साथ ही डबल लेन हाईवे बनाने का रास्ता साफ हो गया है.

Supreme Court
चारधाम प्रोजेक्ट

By

Published : Dec 14, 2021, 11:39 AM IST

Updated : Dec 14, 2021, 5:16 PM IST

देहरादून:केंद्र की मोदी और उत्तराखंड की धामी सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट से अच्छी खबर आई है. चारधाम परियोजना (Char Dham project) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की हरी झंडी मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऑल वेदर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना (all weather road) में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने की इजाजत दे दी है. इसके साथ ही डबल लेन हाइवे बनाने का रास्ता साफ हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने सेनाओं के लिए इसके रणनीतिक महत्व को देखते हुए डबल लेन की रोड बनाने को स्वीकृति दी है. चीन के साथ हाल के दिनों में बढ़े तनाव के मद्देनजर इस सड़क के जरिए सेनाओं को चीन की सीमा तक पहुंचने में आसानी होगी. कोर्ट ने अपने 8 सितंबर 2020 के आदेश को संशोधित करते हुए प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है.

चारधाम प्रोजेक्ट की दो लेन की सड़क को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी.

पढ़ें-PM Modi का ड्रीम प्रोजेक्ट: आधे-अधूरे पाखरौ टाइगर सफारी के उद्घाटन की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत न्यायिक समीक्षा में सेना के सुरक्षा संसाधनों को तय नहीं कर सकती. हाईवे के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय की कोई दुर्भावना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में सीमाओं पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं. यह अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है. पर्यावरण के हित में सभी उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके सीकरी के नेतृत्व में एक निरीक्षण समिति भी गठित की गई है.

चारधाम प्रोजेक्ट के तहत ऋषिकेश से माणा, ऋषिकेश से गंगोत्री और ऋषिकेश से पिथौरागढ़ तक डबल लेन के रोड बनेंगे. सेनाओं के लिए ये तीनों ही रोड बेहद अहम हैं, क्योंकि इन तीनों सड़कों से उसे चीन की सीमा तक पहुंचने के लिए सीधी कनेक्टिविटी मिल जाएगी. इन सड़कों से भारी सैन्य साजो-सामान को भी आसानी से बॉर्डर तक ले जाया जा सकेगा.

पढ़ें- गोदियाल को रास नहीं आया 12 हजार करोड़ की ऑल वेदर रोड का कॉन्सेप्ट, पैसों की बर्बादी बताया

गौरतलब है कि 11 नवंबर को चारधाम परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. केंद्र और याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित था. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से दो दिनों में लिखित सुझाव देने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि करीब 900 किलोमीटर की चारधाम ऑल वेदर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाई जा सकती है या नहीं.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सितंबर 2020 के आदेश में संशोधन की मांग की थी, जिसमें चारधाम की सड़कों की चौड़ाई को 5.5 मीटर तक सीमित करने का आदेश दिया था. केंद्र का कहना है कि ये भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर जाने वाली सीमा सड़कों के लिए फीडर सड़कें हैं. उन्हें 10 मीटर तक चौड़ा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

क्या है ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट: करीब 889 किमी लंबी रोडों को चौड़ा किए जाने का प्रोजेक्ट है. इनकी मरम्मत की जा रही है. हाईवे में बदला जा रहा है. साल 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले दिसंबर 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया था. पहले इस प्रोजेक्ट का नाम 'ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट' था. लेकिन बाद में नाम बदलकर 'चारधाम प्रोजेक्ट' कर दिया गया.

ये चारधामों को सड़क से जोड़ने का प्रोजेक्ट है. इसमें आने और जाने, दोनों तरफ डबल लेन सड़कें बनाई जाएंगी. पुरानी सड़कों को ठीक किया जाएगा, जहां पर सड़कों की चौड़ाई कम है, वहां पर चौड़ाई बढ़ाकर 12 मीटर तक की जाएगी.

पढ़ें-उत्तराखंड: जगह-जगह से टूटी ऑल वेदर रोड, PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को लग रहा पलीता

कहां-कहां से गुजरेगा प्रोजेक्ट: प्रोजेक्ट में एक मुख्य सड़क है, जिस पर आगे बढ़ने के साथ चार अलग-अलग रास्ते निकलते हैं, जो चारों धाम को जाते हैं. यह सड़क ऋषिकेश से शुरू होकर उत्तर दिशा में माणा नाम के गांव तक जाती है. पहला रास्ता, ऋषिकेश से निकलेगा, जो धारासू नाम की जगह तक जाएगा. दूसरा, धारासू से एक रास्ता यमुनोत्री और दूसरा गंगोत्री जाएगा. तीसरा, रास्ता भी ऋषिकेश से शुरू होगा और रुद्रप्रयाग तक जाएगा. रुद्रप्रयाग से एक रास्ता केदारनाथ के लिए गौरीकुंड तक निकल जाएगा. चौथा, रुद्रप्रयाग से आगे बदरीनाथ के लिए माणा गांव तक जाएगा. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 12 हजार करोड़ रुपए है.

रणनीतिक रूप से अहम प्रोजेक्ट: यह प्रोजेक्ट रणनीतिक रूप से भी अहम है. इसे ऑल वेदर रोड कहना ज्यादा सही होगा. इसके जरिए भारत अपनी सीमा के नजदीक तक पहुंच रहा है. पिछले दिनों भारत ने लिपुलेख में जो सड़क बनाई थी, वह भी एक तरह से इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है. वह रास्ता कैलाश मानसरोवर जाने के लिए है. लिपुलेख की रोड रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. इसके जरिए अब भारतीय सेना आसानी से चीन-नेपाल सीमा तक पहुंच जाती है.

Last Updated : Dec 14, 2021, 5:16 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details