देहरादून: उत्तराखंड में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जानलेवा साबित होती जा रही है. प्रदेश में एक तरफ कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ क्वारंटाइन सेंटरों से आत्महत्या की खबरें भी सामने आ रहीं हैं. राजधानी देहरादून के बालावाला स्थित क्वारंटाइन सेंटर में एक शख्स ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है. जिसके बाद से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा बताते हैं कि आखिर क्यों लोग अवसाद में आकर खुदकुशी कर रहे हैं.
मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा के मुताबिक देश-दुनिया में कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. जिसकी वजह से लोगों के मन में दहशत का माहौल है. लॉकडाउन से पहले सामान्य जीवन था लेकिन लॉकडाउन होने के बाद से लोग एक तरह से घरों में कैद हो गए हैं. इसके साथ ही डिप्रेशन, चिंताएं और घरेलू झगड़े भी बढ़े हैं. साथ ही क्वारंटाइन सेंटरों में रहने वाले लोगों के बीच मानसिक भेदभाव भी देखने को मिल रहा है. जिसकी वजह से वे आत्महत्या कर रहे हैं.
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ईटीवी भारत के जरिए डॉं मुकुल शर्मा ने सरकार से सभी क्वारंटाइन सेंटरों में सुविधाओं को बेहतर बनाने की अपील की है. ताकि लोग इन सेंटर्स में डिप्रेशन या अकेलेपन का शिकार न हो. डॉं मुकुल शर्मा के मुताबिक सरकार को क्वारंटाइन सेंटरों में योगा सेशन और मोटिवेशनल स्पीच कराना चाहिए, ताकि लोगों में पॉजिटिव एनर्जी का संचार हो सके. युवाओं में अपने भविष्य को लेकर चिंता है और यह उनके डिप्रेशन और आत्महत्या के लिए प्रेरित होने की वजह बन सकती है.