देहरादून: कोरोना महामारी के कारण बेरोजगार होकर अपने घरों को लौटे प्रवासी युवक इन दिनों आर्थिक संकट के गुजर रहे हैं. इन हालात में युवा आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. प्रवासी युवाओं की इन समस्याओं को लेकर उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने देहरादून सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से राज्य सरकार को एक मांग पत्र भेजा है. ताकी युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुल सकें.
उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के प्रदेश महासचिव सुशील कुमार ने कहा कि लाखों शिक्षित युवा कोरोना महामारी के चलते बेरोजगार हो गए हैं. लघु व्यापारी और दुकानदार अपनी इकाइयों को बंद कर रहे हैं. प्राइवेट स्कूलों और संस्थाओं में काम करने वाले शिक्षक और कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं. इस समय उन्हें अपना भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. जिसके वजह से वे अवसाद का शिकार हो रहे हैं. यही कारण है कि बीते एक महीने में प्रदेश के 40 से ज्यादा युवा आत्महत्या कर चुके हैं. हालांकि सरकार युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए अपने स्तर पर काम कर रही है, लेकिन ये नाकाफी साबित नहीं हो रहा है.
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उत्तराखंड नवनिर्माण सेना ने राज्य सरकार को ज्ञापन के माध्यम से कुछ सुझाव दिए हैं. यदि सरकार उन पर अमल करे तो प्रदेश में रोजगार के अवसर खुल सकते हैं और युवा अवसाद से बाहर आ सकते हैं.
ज्ञापन के प्रमुख बिंदू
- औद्योगिक सेक्टर को विश्वास में लेते हुए आंध्र प्रदेश, हरियाणा समेत अन्य राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में समस्त प्राइवेट सेक्टर, ट्रस्ट, फर्म इत्यादि के लिए राज्य के युवाओं को 75 प्रतिशत रोजगार सुनिश्चित किया जाए.
- औद्योगिक क्षेत्र, लघु उद्योगों और राज्य में कार्यरत व्यापारी वर्ग को पुनः सशक्त करने हेतु विशेष कमेटी का गठन हो. जिसमें आपात हालात में समस्या के निदान के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाए.
- अगले तीन माह तक लघु व्यापारी, किसानों और सभी प्रकार के हाउसिंग लोन पर ब्याज माफ किया जाए.
- शहर और गांव में 200 दिन के रोजगार की गारंटी प्रदान की जाए, या फिर बेरोजगारी क्षतिपूर्ति राशि तीन हजार रुपए अदा की जाए.
- राज्य में पर्यटन व्यवसाय रोजगार का मुख्य आधार है, इसे पुनः संचालित करते हुए पर्यटन व्यवसाय को सशक्त किया जाए.