देहरादून:उत्तराखंड पुलिस में ग्रेड-पे (uttarakhand police grade pay) का मसला राज्य सरकार के गंले की फांस बन गया है, जो न तो उगलते बन रहा और न ही निगलते. उधर इस मामले को विपक्ष ने लगे हाथ लपक लिया है. ग्रेड-पे मामले पर हरीश रावत पुलिसकर्मियों के साथ खड़े हैं. इसके बाद मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है. हरीश रावत (Harish Rawat) के इस बयान पर शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने तंज कसा है. उन्होंने कांग्रेस को अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दी है.
ग्रेड-पे मामले पर हरीश रावत ने पुलिसकर्मियों (uttarakhand police) को जो अपना समर्थन दिया है, उस पर शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल (Subodh Uniyal) ने कहा कि कांग्रेस आज पुलिस कर्मियों की नाराजगी का समर्थन कर रही है. लेकिन उससे पहले कांग्रेस को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए. क्योंकि जब इस मामले को लेकर शासनादेश जारी किया गया था, उस समय प्रदेश में हरीश रावत के नेतृत्व की सरकार थी. लिहाजा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पुलिसकर्मियों के साथ विश्वासघात किया है. ऐसे में वो आज किस मुंह से पुलिस कर्मियों की बात कर रहे हैं.
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साथ ही सुबोध उनियाल ने कहा कि प्रदेश में आचार संहिता लागू होने के बाद हरीश रावत सरकार ने ग्रेड-पे के संबंध में जिओ जारी किया था. जबकि ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय आचार संहिता के दौरान नहीं लिया जाना चाहिए था. इस तरह का शासनादेश जारी करने वाले हरीश रावत खुद ही थे. इस बात पर उन्हें थोड़ा सोचना चाहिए. सुबोध उनियाल ने कहा कि हरीश रावत का खुद पुलिसकर्मियों के बीच जाकर यह बोलना कि वह उनका साथ देंगे, ये गलत है.
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विवाद की वजह: बता दें कि उत्तराखंड पुलिस विभाग में 20 साल या उससे अधिक समय से कार्यरत वरिष्ठ पुलिस कर्मियों को दरोगा पद पर प्रमोशन न मिलने के बावजूद उन्हें 4600 ग्रेड पे के हिसाब से वेतन भुगतान का प्रावधान है. कुछ समय पहले राज्य सरकार की ओर से इन पुलिस जवानों को दरोगा ग्रेड पे से हटाकर एएसआई पद की कैटेगरी में रखा गया. अब 4600 की जगह 2800 ग्रेड पे के अनुसार वेतन भुगतान की कवायद की जा रही है, जिससे पुलिसकर्मियों ने आक्रोश बढ़ता जा रहा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने शासन स्तर पर समिति का गठन किया है.