देहरादून: मित्र पुलिस के स्लोगन को धूमिल करने वाले देहरादून पुलिस के दारोगा पर बर्खास्तगी की तलवार लटक सकती है. जांच में दारोगा पर लगाए गए आरोप की पुष्टि हुई है. जिसके चलते दारोगा पर विभाग की सबसे बड़ी दंडात्मक 14 (1) की कार्रवाई के आदेश हुए हैं. यदि दारोगा इस मामले में दोषी पाया जाता है तो उसे बर्खास्त तक किया जा सकता है. बता दें कि इस मामले में दारोगा को पहले ही निलंबित कर दिया गया था.
दारोगा पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार. देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने विभागीय जांच का जिम्मा सीओ सदर शेखर सुयाल को दिया है. सीओ सदर की जांच रिपोर्ट में यदि दारोगा दोषी पाया जाता है तो उसे 14 (1) की कार्रवाई के तहत बर्खास्त तक किया जा सकता है.
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गौरतलब हो कि हाल ही में नेहरू कॉलोनी थाने में तैनात दारोगा देवेंद्र गुप्ता ने वाहन चेकिंग के दौरान एक दंपति से बदसलूकी करते हुए उनके साथ गाली-गलौज भी की थी. दरोगा गुप्ता की इस बदसलूकी का वीडियो पर वायरल हुआ था. ईटीवी भारत ने भी इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित की थी. देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने वीडियो का संज्ञान लेते हुए मामले में जांच के आदेश दिए थे. प्राथमिक जांच में दारोगा के बदतमीजी करने की पुष्टि हुई है. जिसके बाद दारोगा का निलंबित कर दिया गया था.
इस मामले में डीआईजी जोशी ने कहा कि यदि कोई भी पुलिसकर्मी या अधिकारी जनता के साथ जनता बदसलूकी करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पुलिस का ये आचरण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जनता के साथ बेहतर समन्वय बनाकर पुलिसिंग की आवश्यकता है. प्रारंभिक जांच पड़ताल में दारोगा पर लगाए गए आरोपों की पुष्टि हुई है. इसी के कारण उसके खिलाफ विभाग की मुख्य दंडात्मक वाली कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. विभाग जांच का जिम्मा सीओ सदर शेखर सुयाल को दिया गया है. जांच रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
क्या होती है विभागीय कार्रवाई 14 (1)
पुलिस विभाग की सबसे बड़ी दंडात्मक वाले कार्रवाई 14 (1) के तहत बाकायदा पुलिस की एक अपनी कोर्ट लगती है. जिसमें संबंधित अधिकारी आरोपी से जुड़ी सभी तरह की जांच-पड़ताल की विवेचना कर कठोर से कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं. 14 (1) की कार्रवाई के तहत अगर कोई कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो उसके आधार पर उसकी पुलिस में सेवाएं समाप्त कर बर्खास्त तक की कार्रवाई की जाती है.