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लॉकडाउन में समस्याओं से जूझ रहे छात्र-छात्राएं, सूर्यकांत धस्माना ने सरकार से की मदद की मांग

धस्माना का कहना है कि देहरादून में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को लॉकडाउन की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने राज्य सरकार से इन लोगों के लिए मदद की गुहार लगाई है.

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सूर्यकांत धस्माना.

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Published : Mar 27, 2020, 8:15 PM IST

देहरादून: कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने राज्य सरकार से मांग की है कि देहरादून में डीएवी, डीबीएस, एमकेपी, एसजीआरआर समेत कई महाविद्यालयों और कोचिंग सेंटर्स में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भोजन मुहैया कराया जाए. क्योंकि उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के छात्र-छात्राएं देहरादून में किराए के कमरों में रहते हैं. जो होटल और रेस्टोरेंट के भोजन पर निर्भर हैं. उनके लिए सरकार पैक्ड भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें.

सूर्यकांत धस्माना ने सरकार को चेताया.

पिछले 12 दिनों से क्वॉरेंटाइन पीरियड बिता रहे धस्माना ने कहा कि देहरादून में ऐसे छात्र छात्राओं की संख्या हजारों में है जिनके सामने लॉकडाउन की वजह से भोजन का संकट खड़ा हो गया है. इनमें से कई छात्र-छात्राएं ऐसे हैं, जिनके पैसे भी खत्म हो गए हैं. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि या तो सरकार इन छात्र-छात्राओं को इनके घर भेजने की व्यवस्था करें या फिर कम से कम इनके भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करें.

धस्माना ने कहा कि आज उन्होंने सुबह इस विषय पर देहरादून के जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव से बात की. साथ ही उन्होंने डीएम को ये प्रस्ताव भी दिया कि उनका ट्रस्ट देव भूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट विद्यार्थियों को पैक्ड भोजन उपलब्ध कराने का इच्छुक है. जिस पर जिलाधिकारी ने कहा कि वे ऐसा कर सकते हैं. इसकी अनुमति दे दी जाएगी.

वहीं, धस्माना ने कहा कि इस संकट की घड़ी में वे अपने आप को बहुत असहाय पा रहे हैं. क्योंकि सरकार ने उनको 14 दिनों के लिए घर में क्वॉरेंटाइन कर रखा है, जिसका आज बारवां दिन चल रहा है. आगामी 30 मार्च से वे जिला प्रशासन की अनुमति लेकर जरुरतमंदों की सेवा करना चाहेंगे.

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सूर्यकांत धस्माना ने इस बात पर जोर दिया कि दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाली कई छात्राएं अपने घर जाना चाहती हैं. ऐसे में उनके परिजन अपने बच्चों के लिए चिंतित हैं. ऐसे में सरकार को कोई ना कोई ऐसा तरीका निकालना होगा, जिससे उन छात्राओं को परिजनों तक पहुंचाया जा सके.

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