देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की वजह से साल 2020 और 2021 में छात्र संघ के चुनाव नहीं हो पाए थे. वहीं इस साल छात्र संघ के चुनाव कराए जाने को लेकर छात्रों ने आंदोलन की राह चुन ली है. इसके साथ ही छात्र संघ चुनाव के मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है. भाजपा और कांग्रेस में छात्र राजनीति को लेकर तलवारें खिंच गई हैं. डीएवी पीजी कालेज में पिछले एक सप्ताह से अनशन पर बैठे संयुक्त छात्र संघर्ष समिति के दो छात्र नेता अलग-अलग मोबाइल टावरों पर चढ़े तो एकाएक राजनीति गरमा गई.
कोरोना काल में दो साल नहीं हुए छात्र संघ चुनाव: दरअसल, पिछले दो साल से छात्र संघ के चुनाव न होने के छात्र नेताओं में आक्रोश व्याप्त है. क्योंकि पंचायत चुनाव और इससे पहले विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं. जिसके चलते विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र, छात्रसंघ चुनाव को लेकर आंदोलनरत हैं. छात्रों का कहना है कि महाविद्यालयों में सभी कार्यक्रम हो रहे हैं. लेकिन छात्र चुनाव पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है. आपको बता दे कि प्रदेश के 119 महाविद्यालयों और पांच राज्य विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ के चुनाव होने थे.
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मंत्री ने विश्वविद्यालयों के पाले में डाली गेंद: सही मायने में सितंबर या अक्टूबर महीने में छात्र-संघ चुनाव हो जाने चाहिए थे, लेकिन समय से चुनाव नहीं कराए जा रहे. जबकि विश्वविद्यालयों के अनुसार उनका राजकीय महाविद्यालयों पर चुनाव को लेकर कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है. हालांकि, राज्य सरकार की ओर से चुनाव घोषित किए जाने के बाद ही विश्वविद्यालय अपने परिसर में छात्र संघ चुनाव करा सकेंगे. वहीं, विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के अनुसार चुनाव पर सरकार की तरफ से कोई रोक नहीं है. ऐसे में छात्र संघ के चुनाव के लिए विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को निर्णय लेना है.
छात्र संघ चुनाव को लेकर कांग्रेस मुखर: छात्र संघ चुनाव को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोल दिया है. कांग्रेस का कहना कि छात्रों की मांग उचित है. सरकार पिछले दो महीने से केवल आश्वासन ही दे रही है. वहीं, भाजपा का कहना है कि सरकार इसी महीने छात्रसंघ चुनाव संपन्न करवाएगी. बहरहाल, जो भी हो लेकिन छात्रों के आंदोलन से उत्तराखंड की राजनीतिक सियासत जरूर गर्मा गई है.
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