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'ऑनलाइन' में खल रही ये कमी, जानिए किताबी ज्ञान तक क्यों सिमटी क्लासेस - देहरादून शिक्षक

कोरोना काल में बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर खासा असर पड़ा है. बच्चों की पढ़ाई पूरी हो सके इसके लिए ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही हैं. लेकिन तकनीक से शिक्षा पाने वाले बच्चे आज बहुत कुछ मिस कर रहे हैं.

Dehradun Online Classes
देहरादून ऑनलाइन कक्षाएं

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Published : Jul 16, 2020, 8:12 AM IST

Updated : Jul 18, 2020, 9:04 AM IST

देहरादून:कोरोनाकाल में बच्चों के हाथों में किताबें भी हैं और क्लास रूम में शिक्षक भी. लेकिन फिर भी बहुत कुछ है जिससे बच्चे महरूम हैं. जानिए ऑनलाइन क्लास के बीच कैसे कुछ शिक्षकों की उपयोगिता खत्म सी हो गयी है और केवल किताबी ज्ञान तक सिमट कर रह गई है छात्रों की जिंदगी. देखिए ये खास रिपोर्ट...

तमाम सेक्टर्स आज कोविड-19 के असर को झेल रहे हैं. शिक्षा विभाग ऐसे सेक्टर्स में पहले पायदान पर खड़ा दिखाई देता है. ये बात अलग है कि तकनीक ने कुछ हद तक शिक्षा व्यवस्था को कोरोना काल में पटरी से उतरने से बचा लिया है. बावजूद इसके स्थितियां अनुकूल नहीं दिखाई देती हैं. कोरोनाकाल में भी छात्र किताबें पढ़ रहे हैं और ऑनलाइन रहकर शिक्षकों से क्लास भी ले रहे हैं. लेकिन स्कूल में दाखिल होने से लेकर छुट्टी की आखिरी घंटी बजने तक बच्चे स्कूल में जो कुछ सीख पाते हैं उससे वो महरूम ही हैं.

'ऑनलाइन' में खल रही ये कमी.

हुनर को नहीं तराश पा रहे बच्चे

आज छात्र असेंबली में न तो किसी प्रार्थना का हिस्सा बन पाते हैं और न ही संगीत क्लास में अपने हुनर को तराश रहे हैं. शारीरिक गतिविधियां तो मानो बीते समय की बात हो गयी हैं. पीटी से लेकर बच्चों की खेल एक्टिविटी सब थम सी गयी है. तकनीक से शिक्षा पाने वाले बच्चे कम्प्यूटर की क्लास मिस कर रहे हैं. आर्ट एंड क्राफ्ट की बारीकियां सीखने को बच्चों के पास समय नहीं है. खास बात यह है कि प्रैक्टिकल सब्जेक्ट से तो छात्र पूरी तरह से ही महरूम हो गए हैं. जबकि संगीत, स्पोर्ट्स, योग, आर्ट एंड क्राफ्ट और अनुशासन बनाने वाले शिक्षकों समेत प्रबंधन से जुड़ी स्कूलों में दूरी गतिविधियों का हिस्सा बनने वाले स्टाफ को अब छंटनी का शिकार होने की नौबत आ गयी है.

अभिभावक भी खासे चिंतित हैं

मुख्य विषयों को छोड़कर दूसरी एक्टिविटीज में बच्चों की मानसिक और शारारिक क्षमता बढ़ाने वाले शिक्षकों के रोजगार पर संकट मंडरा रहा है तो अभिभावक भी चिंतित हैं कि उनके बच्चे खेलकूद आदि चीजों से दूर हो रहे हैं जो कि उनके शारीरिक विकास में बाधा बन सकता है. इसके अलावा सामाजिक ज्ञान, शिष्टाचार और अनुशासन भी इन हालातों में बच्चों की समझ से दूर हो रहा है.

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ऑनलाइन क्लासेस के जरिए छात्रों को दी जा रही ज्यादा से ज्यादा जानकारी

वैसे, इस मामले में निजी स्कूलों की मानें तो उनकी तरफ से यह कोशिश की जा रही है कि बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस के जरिए ज्यादा से ज्यादा जानकारियां देते हुए विषयों को पूरा करवाया जाए. हालांकि, इस दौरान स्पोर्ट्स जैसी फील्ड गतिविधियों को नहीं कराया जा सकता. स्कूल से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि बच्चों को मुख्य विषयों की क्लास ऑनलाइन कराए जाने के साथ ही उन्हें दूसरी तमाम चीजों को भी ऑनलाइन ही उपलब्ध कराया जा रहा है.

बच्चों को दी जा रही फिजिकल और हेल्थ एजुकेशन की जानकारी

निजी विद्यालय के वाइस प्रिंसिपल दिनेश बर्थवाल अपने स्कूल में छात्रों को अल्ट्रा वाइलेट किरणें, रेडिएशन से होने वाले नुकसान को भी बताने की बात कह रहे हैं. इस तरह स्कूल की मानें तो जितना संभव है उतनी जानकारी वीडियो और ऑडियो के जरिए छात्रों तक पहुंचाई जा रही हैं. इसके साथ ही इसमें असेंबली में होने वाली प्रार्थना और संगीत कार्यक्रम को ऑनलाइन ही छात्रों तक पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा फिजिकल और हेल्थ एजुकेशन के लिए अलग से छात्रों को जानकारी दी जा रही है. यही नहीं बच्चों को आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से जानकारियां भी दी जा रही हैं.

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उत्तराखंड में कुल 5,519 निजी स्कूल हैं. इनमें कुल 12 लाख 51 हजार बच्चे पढ़ते हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो इन विद्यालयों में शिक्षक और स्टाफ की संख्या करीब 1 लाख से भी ज्यादा है. उधर, ऐसे विषय जिनका ऑनलाइन क्लासेज के दौरान उपयोग नहीं हो रहा है उससे जुड़े शिक्षकों और स्टाफ की संख्या भी हजारों में हैं. इससें निश्चित रूप से ऐसे शिक्षकों की चिंताएं भी बढ़ गई होंगी. हालांकि, निजी विद्यालयों में काम करने वाले शिक्षक ऐसे मामलों में कैमरे में आने से बचते रहे हैं.

Last Updated : Jul 18, 2020, 9:04 AM IST

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