ऋषिकेशः रूस यूक्रेन जंग में फंसी गंगानगर निवासी तमन्ना त्यागी भी आखिरकार घर लौट आईं है. बेटी सकुशल घर पहुंची तो मां के आंसू छलक पड़े. आस पड़ोस के लोग भी तमन्ना का हालचाल जानने पहुंचे. यूक्रेन से लौटी तमन्ना ने अपनी आपबीती भी सुनाई. वहीं, अभी भी यूक्रेन में ऋषिकेश की एक छात्रा और दो छात्र नहीं लौटे हैं, जिनका इंतजार परिजन बेसब्री से कर रहे हैं.
रोमानिया के रास्ते वतन लौटी तमन्ना त्यागी अब खुश हैं, लेकिन उन्हें चिंता अन्य छात्रों की भी है. खुद को खुशनसीब मानते हुए वो इंतजार सभी भारतीय छात्रों के घर वापसी का कर रही हैं. उनकी मां भी यह दुआ कर रही हैं कि हर एक बच्चा सुरक्षित और सकुशल घर लौट आए. बुधवार को बमुश्किल घर लौटी गंगानगर निवासी तमन्ना त्यागी ने यूक्रेन में युद्ध हालातों को करीब से देखा.
यूक्रेन से लौटी तमन्ना ने बताई आपबीती. हर रात खौफ में गुजरीःतमन्ना ने युद्ध के बीच गुजारे वक्त को ईटीवी भारत के साथ साझा किया. तमन्ना ने बताया कि घर की छत के ऊपर से उड़ते जहाज और बस इमरजेंसी शायरन के बजने के इंतजार के बीच उनकी हर रात खौफ में गुजरी. अब घर आकर बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन अभी भी भारतीय छात्र पड़ोसी देशों की सरहद पर बर्फ में खड़े हैं. यूक्रेन में दिनोंदिन हालात बिगड़ रहे हैं. बस इतनी ही दुआ है कि हर कोई घर लौट आए.
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आटा तक नहीं मिलाःतमन्ना बताती हैं कि रूस के यूक्रेन पर हमला करने के साथ ही दूतावास ने सबसे पहले खाना और पैसे अरेंज करने को कहा. वो इवानो में थी तो निर्देश मिलते ही उन्होंने अन्य छात्रों के साथ इलाके का हर एटीएम नकदी निकालने के लिए खंगाला. रसद के लिए 8 बजे निकले और 12 बजे वापस लौटे. चार घंटों में सभी सामान तो मिल गया, लेकिन आटा नहीं मिला. दो दिन टेंशन बहुत ज्यादा हुई.
परिजनों से जानबूझकर कही ये बातःपरिजनों को जानबूझकर हालात ठीक होने का दिलासा दिया. जबकि, हकीकत में ऐसा नहीं था और वो युद्ध को लेकर परेशान थे. प्लेन की आवाज आते ही सिर्फ इंतजार शायरन बजने का रहता था और बंकर में जाने का. डर बहुता था, लेकिन हिम्मत करनी पड़ी. यह उनके लिए बेहद परेशान कर देने वाला अनुभव था.
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भारतीय छात्रों के साथ बंकर में रहे दूतावास के अधिकारीःदूतावास की भूमिका पर तमन्ना बोलीं कि भारतीय अधिकारियों ने कीव में फंसे छात्र-छात्राओं के लिए बहुत कुछ किया और वो बच्चों के साथ बंकर में भी रहे. समय रहते अधिकारी उन्हें इतलाह कर देते तो शायद यह हालत पैदा नहीं होते और वो खुद के पैसों से घर लौट आते. फिलहाल, अपने घर हैं तो सूकुन हैं, लेकिन वहां फंसे बच्चों की चिंता अभी भी है.
प्रह्लाद जोशी को तमन्ना ने दिया करारा जवाबःकेंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के विदेश में मेडिकल की पढ़ाई को लेकर दिए बयान पर स्वदेश लौटी छात्रा तमन्ना ने भी जवाब दिया है. उनका कहना है कि नीट की परीक्षा पास करने के बाद ही विदेश पढ़ने का मौका मिलता है. आप सरकारी मेडिकल कॉलेज की फीस कम कर दीजिए, कोई नहीं जाना चाहता अपना देश छोड़कर.
तमन्ना त्यागी ने मंत्री प्रह्लाद को आईना दिखाने की कोशिश करते हुए यह भी कहा कि मेडिकल की पढ़ाई की फीस का वाकई में उदाहरण देखना है तो कहीं और नहीं, बल्कि उत्तराखंड के ही मेडिकल शिक्षा का शुल्क उठाकर देख लीजिए. तमन्ना के मुताबिक, भारत में मेडिकल की पढ़ाई लाखों से लेकर करोड़ों रुपए में होती है. सरकारी में लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं तो सेमी गर्वमेंट में इसी पढ़ाई के लिए एक करोड़ तो प्राइवेट कॉलेज में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च होते हैं.
मेडिकल की शिक्षा सस्ती हो तो देश छोड़कर कोई नहीं जाएगा बाहरःसरकारी कॉलेज में चार से पांच लाख का खर्च है. जिसमें टैक्स, हॉस्टल और एग्जाम फीस शामिल नहीं है. जबकि, यूक्रेन में मेडिकल की एक साल की पढ़ाई ही करीब तीन लाख रुपए में हो जाती है. साथ ही कहा कि आप उत्तराखंड और पूरे देश में मेडिकल की शिक्षा सस्ती कर दीजिए, कोई अपना देश छोड़कर बाहर पढ़ने के लिए नहीं जाना चाहता है.