देहरादून:आज दुनियाभर के ज्यादातर देश कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं. कोरोना महामारी के इस दौर में मेडिकल स्टाफ ने अपना सबकुछ झोंका हुआ है. इसमें नर्स अहम भूमिका निभा रही हैं. नर्स अस्पतालों और क्लीनिकों की रीढ़ होती हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर कोविड-19 के लाखों मरीज़ों की देखभाल कर रही हैं. परिवार की चिंता के साथ उनके कंधों पर मरीजों की जिम्मेदारी भी है. अपने और परिवार की चिंता किए बिना नर्स कोरोना का डटकर मुकबला कर रही है. नर्सिंग स्टाफ के बिना इस लड़ाई को जीतना कतई मुमकिन नहीं है. आज अंतरराष्ट्रीय नर्स डे पर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
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24 घंटे करना पड़ रहा है काम
कोरोनेशन अस्पताल में सुपरिटेंडेंट पूनम गौतम कहती हैं कि यह समय नर्सेज के लिए सबसे ज्यादा परेशानी भरा है, लेकिन उससे ज्यादा हमारे सामने इन मरीजों को स्वस्थ करके घर भेजने की चुनौती है. पूनम गौतम से जब उनके निजी जीवन के बारे में पूछते हैं तो कहती हैं कि उनके घर में उनका बेटा संक्रमित हो चुका है. बाकी सदस्य भी इस माहौल में बेहद ज्यादा डरे हुए हैं. घर में परिवार की जिम्मेदारी भी उठानी होती है और अस्पताल में मरीजों की देखभाल भी करनी जरूरी है. उधर कोविड-19 आने के बाद अस्पताल के साथ-साथ घर पर रहकर भी ऑनलाइन लोगों को मेडिकल ही सुझाव देना होता है. लिहाजा 24 घंटे मरीजों को लेकर सक्रिय रहना होता है.
पूनम गौतम यह भी कहती हैं कि अब तो वह पुराने दिन याद आने लगे हैं. जब पूरा परिवार एक साथ बैठकर बातें करता था. बेहतर जिंदगी जी रहा था. लेकिन अब उनसे अलग रहकर समय बिताना पड़ रहा है.