रायगढ़: वन परिक्षेत्र में स्थित राम झरना प्रशासन की अनदेखी के कारण अपने अस्तित्व खोने की कगार पर है. राम झरने को लेकर मान्यता है कि भगवान राम ने 14 वर्ष के वनवास का कुछ समय रायगढ़ जिले के भूपदेवपुर अंतर्गत इसी वन परिक्षेत्र में बिताया था.
श्रीराम और माता सीता से जुड़ी है इस रामझरने का कहानी. जब वनवास काल के दौरान घने वन के बीच सीता माता को प्यास लगी थी तब दूर-दूर भटकने के बावजूद भी उन्हें पानी नहीं मिला इसलिए भगवान राम ने बाण चलाया, जिससे पहाड़ से पानी निकलने लगा. उस पानी से माता सीता ने अपनी प्यास बुझाई और आशीर्वाद दिया कि वह हमेशा लोगों और जीव-जंतुओं का प्यास बुझाते रहे.
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इसीलिए झरने से पानी लगातार निकल रहा है. इस वजह से झरने का नाम राम झरना पड़ा, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से राम झरना सिमटता जा रहा है और अब एक नाली के आकार में ही बचा है. सिर्फ पर्यटकों के प्रवेश शुल्क से इस झरने की देखरेख और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.
ये है मान्यता
राम झरना को लेकर इतिहासकार और स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां श्रीराम के आने के सबूत है, इसलिए इस बात से नकारा नहीं जा सकता. स्थानीय राजेश जैन बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही सपना आता है कि उनके पूर्वज इस जगह को राम शर्मा के नाम से ही जानते हैं. धीरे-धीरे आधुनिकीकरण और प्रशासन की अनदेखी से इसका अस्तित्व खत्म होते जा रहा है. यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए बैठने तक तक की जगह नहीं है. यहां पहुंचने के लिए भी किसी तरह की व्यस्वस्था नहीं है. ये झरना राम भरोसे ही चल रहा है.
धरमजयगढ़ में पड़े भगवान राम के कदम
जिले के शासकीय महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहास के जानकार एसपी मेहरा बताते हैं कि श्रीराम के वनवास काल का कुछ समय यही बीता है. क्योंकि जब राम अयोध्या से वनवास के लिए निकले थे तब वे रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ मांड नदी से होकर चंद्रपुर के महानदी तक पहुंचे थे. इसी बीच में भूपदेवपुर का राम झरना स्थित है.
ऐसी जगह से पानी निकलना आश्चर्य
तीर चला कर पानी निकालने की बात पर मेहरा ने कहा कि ऐसी जगह से पानी निकलना अपने आप में एक आश्चर्य है. अगर पहाड़ के सीने से पानी निकल रहा है तो जरूर माना जा सकता है कि भगवान राम ने अपने तीर से ही उस जगह पर चमत्कार किया होगा. शायद इसी वजह से उस जगह का नाम राम झरना पड़ा.
राम झरना का अस्तित्व
बता दें कि जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर यह पर्यटन स्थल है. जिले के ज्यादातर लोग छुट्टियों के दिन इस शांत जगह पर अपना समय बिताना पसंद करते हैं. अगर ऐसे में प्रशासन राम झरना को नहीं संवार पाएगा तो झरना केवल इतिहास बनकर रह जाएगा.