दमोह (मध्यप्रदेश): आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. महिला दिवस पर ईटीवी भारत ला रहा है आपके लिए खास पेशकश 'मिसाल', जिसमें हम आपको दिखा रहे हैं उत्तराखंड के साथ ही देशभर की महिला अचीवर्स की अनसुनी कहानियां. विभिन्न क्षेत्र में मिसाल बन चुकीं इन महिलाओं के संघर्ष की दास्तां. ऐसी ही एक दास्तां है दमोह की रहने वाली जुड़वा बहनों की.
पांच साल की उम्र से ही कुछ कर गुजरने का जज्बा, पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी निपुणता, लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत करना और शौक को जुनून बनाकर सपनों को साकार करना. ये लाइन दमोह की दो जुड़वा बेटियों पर सटीक बैठती हैं. उम्र भले ही कम हो लेकिन इनका जुनून उससे कहीं ज्यादा है. महज पांच साल की उम्र में मार्शल आर्ट के गुर सीखने वालीं ये बेटियां आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. यही वजह है कि दमोह की ये जुड़वा बहने मार्शल आर्ट और कराटे की जाना पहचाना नाम बन चुकी हैं.
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वैशाली नगर में रहने वाले नीरज जैन की जुड़वा बेटियां नित्या और निष्ठा पिछले आठ साल से मार्शल आर्ट के गुर सीखकर मास्टर हो गई हैं. नित्या और निष्ठा का मार्शल आर्ट में कामयाबी की बड़ी वजह निरंतरता और पूरी निष्ठा रही है. बोर्ड परीक्षा होने के बावजूद दोनों आज भी रोज करीब 3 घंटे तक मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लेती हैं. अपनी बहनों से प्रेरित होकर शिखा जैन की तीसरी बेटी भी इसी राह पर चल पड़ी और राज्यस्तर की खिलाड़ी बनकर उभरी है.
राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी ये बेटियां