जयपुर.14 फरवरी यानि कि वैलेंटाइन डे, फरवरी को अगर हम प्यार का महीना भी कहें तो शायद ठीक ही होगा. क्योंकि इसी महीने में लोगों का प्यार परवान चढ़ता है. कुछ प्रेम कहानियां बहुत ही जटिल होती हैं तो कुछ बहुत की साधारण. प्यार की बात हो और प्यार में मर-मिटने वाले इन दो शख्स का जिक्र न हो, ऐसा मुमकिन ही नहीं है. इस वैलेंटाइन स्पेशल में ईटीवी भारत आपके लिए लेकर आया है, कहानी दो प्रेमियों की. जिनका शरीर भले ही अलग रहा, लेकिन दोनों की आत्मा एक थी. यह कहानी है लैला और मजनू की.
लैला और मजनू के बारे में तो हम सभी ने सुना हो होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर दोनों की शादी क्यों नहीं हो पाई. वैसे लैला-मजनू का इतिहास भारत से जुड़ा है. बताया जाता है कि दोनों ने अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हे पाकिस्तान बॉर्डर से महज 2 किमी दूर राजस्थान की जमीन पर ही गुजारे थे. यही नहीं इनकी यहां पर एक मजार भी बनी है, जो श्रीगंगानगर जिले में आज भी स्थित है. अनूपगढ़ तहसील के गांव बिंजौर में बनी इस मजार पर दो प्यार करने वाले मन्नतें मांगने आते हैं.
7वीं सदी से रखते हैं ताल्लुक...
लैला-मजनू की कहानी 7वीं सदी की है. उस समय अरब के रेगिस्तानों में अमीरों का बसेरा हुआ करता था. उन्हीं अमीरों में से अरबपति शाह आमरी के घर कैस ने जन्म लिया. कैस के जन्म की खुशी में घरवालों ने जश्न रखा. इस जश्न में एक ज्योतिषी आए. उन्होंने कैस को देखते ही भविष्यवाणी कर दी कि, यह बालक बड़ा होकर प्रेम रोग में पड़ने वाला है. या यूं कहें तो अरबपति शाह आमरी के बेटे कैस की किस्मत में यह प्रेम रोग हाथ की लकीरों में ही लिखा था. ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि आने वाले समय में कैस प्रेम दीवाना होकर दर-दर भटकता फिरेगा.
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इसके बाद क्या था, ज्योतिषियों की भविष्यवाणी को झुठलाने के लिए शाह अमारी ने खूब मन्नतें मांगी. मजारों में खुदा को मनाया, ताकि अपने बेटे को इस प्रेम रोग से बचा सके, लेकिन हुआ वही जो खुदा को मंजूर था. कुदरत ने अपना खेल दिखाया. दूसरी तरफ अरब देश का एक और शाही खानदान, जहां एक छोटी बच्ची लैला का जन्म हुआ, मानों इसे खुदा ने कैस के लिए ही भेजा हो. लैला को नाजो से किसी राजकुमारी की तरह ही पाला गया था. वह देखने में भी काफी सुंदर थी. लैला के घर में उसके माता-पिता और एक भाई था.