देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. केदारनाथ के कपाट कल खुलने वाले हैं. केदारनाथ के कपाट खुलने से पहले ही जिस तरह से एक बड़ा हादसा धाम में हुआ है, उसको लेकर सभी बेहद चिंतित हैं. 2017 बैच के राज्य वित्त सेवा के अधिकारी अमित सैनी की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. बताया जा रहा है कि अमित को बार-बार आवाज लगाई जा रही थी और हेलीकॉप्टर की तेज आवाज में वह किसी की बात सुन नहीं पाए. पीछे की तरफ चले गए. टेल रोटर इतनी तेजी से घूमता है कि वह दिखाई नहीं देता और अमित सैनी को भी वह दिखाई नहीं दिया. चंद सेकेंड में अमित की मौत हो गई.
मैच के बीच खींच ले गई मौत:रुड़की के रहने वाले अमित सैनी अपने पीछे दो छोटे मासूम बच्चों को छोड़कर गए हैं. हालांकि अमित को केदारनाथ नहीं जाना था. रविवार को उन्होंने राजधानी देहरादून के महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स स्टेडियम में अपने सहयोगियों के साथ मैच खेलने का प्लान बनाया था. टीमों को आमंत्रित भी किया था. लेकिन अचानक केदारनाथ जाने की सूचना आने के बाद अमित अपना मैच छोड़कर छुट्टी वाले दिन भी दफ्तर चले गए. केदारनाथ में उनकी हेलीकॉप्टर के पंखे से कटकर मौत हो गई.
तो शायद बच जाते अमित!:यह हादसा शायद नहीं होता, अगर वह कार से गुप्तकाशी जाते. लेकिन अचानक अधिकारियों ने कहा कि वह जल्दी केदारनाथ पहुंच जाएंगे. इसके लिए उन्हें हेलीकॉप्टर से जाना ही सही रहेगा और कार से जाने वाले अमित सैनी हेलीकॉप्टर से केदारनाथ के लिए रवाना हो गए. अमित सैनी का राजधानी देहरादून में भी आवास है. वह देहरादून के बद्रीपुर में रहते थे. मूल रूप से हरिद्वार के रुड़की के रहने वाले अमित सैनी मिलनसार और खुशमिजाज इंसान थे.
अमित सैनी के पास थे चार विभाग:अमित सैनी 4 विभागों के विभाग नियंत्रक थे. वह सूचना विभाग उत्तराखंड, नागरिक उड्डयन विकास परिषद, गढ़वाल मंडल विकास निगम और खेल विभाग का दायित्व उनके पास था. साल 2017 बैच के अधिकारी थे. इससे पहले वह चंपावत में और देहरादून में अपनी सेवाएं दे चुके थे. कुछ समय पहले ही उनका प्रमोशन हुआ था. केदारनाथ में जिस वक्त ये हादसा हुआ, उस वक्त अमित सैनी के साथ सीओसी रविशंकर भी मौजूद थे. दोनों ही अधिकारी केदारनाथ में व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए गए थे. अमित सैनी हेली ऑपरेशन के अधिकारी थे जो अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे थे. इस बार यूकाडा में उन्होंने बड़े बदलाव किए थे. उन्हीं के कहने पर जीएमवीएन के बजाय आईआरसीटीसी को टिकट बुकिंग का काम सौंपा गया था. इतना ही नहीं उन्होंने इस विभाग में कई तरह के बदलाव भी किए थे. दोनों विभागों के बीच एमओयू कराने में भी उन्हीं की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी.
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अमित के दोस्त नितिन उपाध्याय ने किया भावुक ट्वीट:
'रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई.' अमित सैनी 11 जनवरी से पहले हम इनको जानते नहीं थे, जब ये हमारे विभाग में वरिष्ठ वित्त अधिकारी के पद पर तैनात हुए. अगर एक दो दिन ऊपर नीचे कर दें तो शायद 100 दिन का साथ रहा भाई के साथ. मिलनसार, खुशमिज़ाज और अपने काम की समझ रखने वाले अधिकारी थे. एक सुबह से रात 8 बजे तक काम करने वाले. उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण में वित्त नियंत्रक का प्रभार भी था. केदारनाथ हेलीकॉप्टर सेवा की व्यवस्थाओं से नज़दीकी से जुड़े थे. बहुत उत्साह था इनको कि इस बार यात्रा में हेली सेवा ठीक रहेगी. हाय रे क्रूर नियति, आज केदारनाथ बाबा ने क्या कड़ी परीक्षा ली है अमित के परिवार की. ये तो वही समझ सकते हैं, इतनी कम उम्र में ऐसी हृदय विदारक मृत्यु का वरण… दुःखद. अभी भी ऐसा लग रहा कोई बुरा सपना चल रहा. क्या जीवन है ? किसलिये इतनी भाग दौड़. पता नहीं कब इस ट्रेन का कंडक्टर आके बोल दे, उतरिए आपका स्टॉप आ गया. आप लाख बोलिये अरे अभी तो आगे जाना था. आपके साथ वाले बोलें अरे इन्हें तो अभी लंबा सफ़र करना था. सफ़र ख़त्म तो ख़त्म. ट्रेन चलती रहेगी. कल फिर सूरज निकलेगा बस कुछ के जीवन में एक कभी न ख़त्म होने वाला अंधेरा छाया रहेगा. बाक़ी उनकी कुर्सी कोई और ले लेगा. उनकी फ़ाइलों पर कोई और साइन करेगा. यात्रा भी चलेगी. हेलीकॉप्टर भी उड़ेंगे. बस अमित भाई किसी और सफ़र पे होंगे. लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं.
अलविदा भाई