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फाइटिंग की दुनिया में गुरु-शिष्य मचा रहे धमाल, जानिए MMA Fighter अंगद और दिगंबर की कहानी

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Published : Nov 24, 2022, 7:03 PM IST

देश-दुनियां में उत्तराखंड की प्रतिभा की लोहा मनवाने वाले फाइटर अंगद बिष्ट (Angad Bisht) और दिगंबर सिंह रावत (Digambar Singh Rawat) को आज दुनिया सलाम कर रही है. उत्तराखंड के छोटे से गांव से निकलकर आज दुनिया में दोनों ने अपना नाम रोशन किया है. दोनों को फाइटिंग की दुनियां में नई पहचान मिली है. आज आपको बताते हैं उत्तराखंड के इन दोनों सितारों के संघर्ष की कहानी, जो पहाड़ी युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है.

Angad Bisht and Digambar Singh
Angad Bisht and Digambar Singh

देहरादून: उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. खेल के प्रति उत्तराखंड के युवाओं का रुझान हमेशा से ही ज्यादा रहा है. यही कारण है उत्तराखंड मूल के कई खिलाड़ी आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं. उत्तराखंड के ऐसे ही दो होनहार युवाओं का आज दुनिया लोहा मान रही है. दोनों ने एमएमए फाइटिंग (Mixed martial arts) की दुनिया में कोहराम मचा रखा है.

हम बात कर रहे है रुद्रप्रयाग जिले के अंगद बिष्ट (Angad Bisht) और चमोली जिले के आली गांव से आने वाले दिगंबर सिंह रावत (Digambar Singh Rawat) की. दोनों ही उत्तराखंड के युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं. दोनों के बीच गुरु और शिष्य का रिश्ता है. रुद्रप्रयाग के अंगद बिष्ट ने दुबई में इतिहास रचा है. उन्होंने मैट्रिक्स फाइट नाइट वर्ल्ड चैंपियनशिप (Matrix Fight Night) में जीत हासिल की है. रुद्रप्रयाग के पट्टी धनपुर के चिंग्वाड गांव के रहने वाले अंगद बिष्ट फ्री स्टाइल फाइटर हैं.
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वहीं, दुबई में हुई अंतरराष्ट्रीय मिक्स मार्शल आर्ट्स चैंपियनशिप (Mixed Martial Arts Championship) में उत्तराखंड के लाल दिगंबर रावत ने चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया है. उन्होंने लाइट वेट कैटेगरी में अपने प्रतिद्वंदी अकीब अली को पटखनी दी और खिताब को अपने नाम कर लिया.

ये दोनों ही युवा सामान्य परिवार से आते हैं. इस मुकाम को हासिल करने के पीछे उनकी कड़ी मेहनत छिपी है. दोनों ने कहा कि यदि आपकी सोच अपने करियर के प्रति साफ है और आप में मेहनत करने की काबिलियत है तो कामयाबी आपके कदम चूमेगी.
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पिता का कुछ समय पहले ही हुआ निधन: उत्तराखंड के चमोली जिले के आली गांव के रहने वाले दिगंबर सिंह रावत के पिता का कुछ समय पहले ही निधन हुआ है. दिगंबर सिंह रावत ने 12वीं पास है. दिगंबर सिंह रावत ने बताया कि वो आर्मी में जाना चाहते थे, लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं हो पाया. इसके बाद दोस्त के कहने पर वो बॉडी बिल्डिंग करने लगे. धीरे-धीरे उनका रुझान बॉक्सिंग की तरफ चला गया.

सफलता का श्रेय:इसी दौरान दिगंबर सिंह रावत की मुकालात कोच के रूप में अगंद बिष्ट से हुई और उन्होंने दिगंबर को ट्रेनिंग दी. दिगंबर सिंह रावत अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ-साथ अपनी बहनों को भी देते हैं. क्योंकि उनकी बहनों ने ही उन्हें यहां तक पहुंचाने में कड़ी मेहनत की है.
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भगवान में अटूट विश्वास: दिगंबर कहते हैं कि उनकी भगवान में बहुत आस्था है और इस बात को मानते भी हैं कि आप कितना भी कुछ कर लें, लेकिन जब तक भगवान और देवी देवता की कृपा आपके ऊपर नहीं है, तब तक कुछ नहीं हो सकता है. वो कहते हैं कि अभी उनकी ये शुरुआत है. उन्हें आगे बहुत कुछ करना है. आगे बढ़कर देश और उत्तराखंड का नाम रोशन करना है. रावत ने बताया कि उन्होंने अपनी जीवन में बहुत संघर्ष किया है. उनकी बस एक ही तमन्ना है कि वे परिवार को अच्छा जीवन दे सकें. ये उनकी पहली प्राथमिकता है.

रावत के गुरु अंगद बिष्ट:रावत की इस कामयाबी में उनके गुरु अंगद बिष्ट को भी बड़ा योगदान हैं. रावत को रिंग में उतरने लायक ट्रेनिंग अगंद बिष्ट ने ही दी है. रुद्रप्रयाग के रहने वाले अगंद बिष्ट खुद ब्लैक ब्लेट विजेता है और अपना कोचिक सेंटर चलाते हैं.

डॉक्टर बनाना चाहते थे अंगद: अंगद कहते हैं कि उन्हें बड़ा दुःख होता है कि आज उत्तराखंड के युवा गलत दिशा में जा रहे हैं और काम के नाम पर बस गांव तक ही सीमित होकर रह जाते हैं. अगंद भी मिडिल क्लास फैमली से आते हैं. उनके पिता मिठाई की छोटी सी दुकान चलते हैं. अंगद का सपना फाइटर बनने का नहीं, बल्कि डॉक्टर बनने का था. वो इसके लिए तैयारी भी कर रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे उनका रुझान फाइटिंग तरफ हो गया और उन्होंने रिंग में उतरने का फैसला किया.
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कई खिताब किए अपने नाम: अगंद बिष्ट ने हाल ही में दुबई में मैट्रिक फाइट नाइट वर्ल्ड चैपियनशिप में जीत हासिल की है. उन्होंने 2018 में सुपर फाइट लीग जीती थी. उसके बाद 2019 में ब्रेव कॉम्बेट फेडरेशन फाइट खिताब को अपने नाम किया और 2021 में मैट्रिक्स फाइट नाइट जीती. अभी उन्होंने दुबई में फर्स्ट फ्लाइवेट चैंपियनशिप जीती है.

अंगद बताते हैं कि आज वो फाइट से अच्छा पैसा कमा रहे हैं. अब उनकी इच्छा उत्तराखंड के युवाओं के लिए कुछ करने की है. अभी अंगद 60 से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं. अंगद ने कहा कि आज उत्तराखंड के अधिकाश युवाओं की सोच आर्मी और पुलिस में भर्ती होने तक ही सीमित है. ऐसे में उत्तराखंडी युवा इसके आगे की नहीं सोच पाते हैं.

मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स: अगंद ने बताया कि मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स को सभी लोग बॉक्सिंग ही समझते हैं, लेकिन ये सीधे तौर पर बॉक्सिंग नहीं है. इसके अलग-अलग फॉर्मेट होते हैं. जैसे मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स, किक बॉक्सिंग, रेसलिंग, जूडो सभी इसमें समाहित होते हैं. यह एक तरह की प्रोफेशनल फाइट है. इसमें बहुत से रूल्स होते हैं. ऐसा नहीं है कि इसमें किसी की जान लेना ही मकसद है. इसमें सिर के पीछे नहीं किसी को नहीं मार सकते हैं. प्रतिद्वंदी की कमर पर तेज प्रहार नहीं कर सकते हैं. वहीं, इस खेल में अब भारत को भी नई पहचान मिल रही है.

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