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22 साल बाद बने एक्ट के तहत पहली बार हुई कार्रवाई, आरोपी को भेजा जेल - उत्तराखंड लेटेस्ट न्यूज

आज थाना बसंत विहार क्षेत्र से पिट एनडीपीएस एक्ट के तहत एसटीएफ टीम द्वारा राज्य में अवैध मादक पदार्थों के व्यापार की रोकथाम के तहत आरोपी शिवम गुप्ता इंदिरानगर थाना बसंत विहार से गिरफ्तार किया है. जिसको न्यायालय में पेश करने के बाद जिला कारागार भेजा गया है.

STF arrested accused in dehradun
आरोपी को भेजा जेला

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Published : May 21, 2022, 9:29 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड पुलिस ने राज्य गठन के 22 साल बाद पहली बार प्रदेश में नशा मुक्त अभियान के तहत 1988 पिट एनडीपीएस के निवारक नजरबंदी एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए एक आरोपी को इंदिरा नगर से गिरफ्तार किया है. जो आदतन अपराधी बार-बार एनडीपीएस अधिनियम के तहत पकड़े गए हैं और जमानत पर बाहर हैं. उनके खिलाफ एसटीएफ द्वारा पिट एनडीपीएस एक्ट के अन्तर्गत तैयार किए गए निरूद्व प्रस्ताव पर अपर मुख्य सचिव, गृह उत्तराखंड सरकार के आदेश से कार्रवाई की गई है.

जानकारी के मुताबिक, थाना प्रेमनगर से साल 2015 में अवैध चरस के साथ और थाना पटेल नगर से साल 2016 में अवैध स्मैक के साथ आरोपी को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, आरोपी पर थाना बसंत विहार से साल 2019 में अपने रेस्टोरेंट (एप्पल) की आड़ में अवैध शराब रखने के जुर्म में आबकारी अधिनियम के तहत दो बार गिरफ्तार किया गया. वहीं, साल 2021 में थाना डोईवाला से होंडा सिटी कार में स्मैक के साथ आरोपी को गिरफ्तार किया गया था.

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इसले अलावा आरोपी के खिलाफ मारपीट के दो मुकदमे और एक मुकदमा शस्त्र अधिनियम के तहत अलग-अलग थानों में दर्ज है. आरोपी अभी जमानत पर बाहर था और इसका फायदा उठाकर मादक पदार्थों की तस्करी को अंजाम दे रहा था. एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि एसटीएफ द्वारा लगातार अवैध मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम के लिए नशा तस्करों की धड़पकड़ कर रही है.

ऐसे में आज थाना बसंत विहार क्षेत्र से पिट एनडीपीएस एक्ट के तहत एसटीएफ टीम द्वारा राज्य में अवैध मादक पदार्थों के व्यापार की रोकथाम के तहत आरोपी शिवम गुप्ता इंदिरानगर थाना बसंत विहार से गिरफ्तार किया है. जिसको न्यायालय में पेश करने के बाद जिला कारागार भेजा गया है.

पिट एनडीपीएस एक्ट के तहत गठित एडवाइजरी बोर्ड (सदस्य ,1सीटिंग जज हाइकोर्ट व 2 रिटायर्ड जज हाइकोर्ट ) के समक्ष तीन माह के अन्दर रखा जाएगा. इस कानून के तहत बिना जमानत के एक साल की अवधि के लिए निवारक नजरबंदी संभव है.

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