उत्तराखंड

uttarakhand

कोरोना की दूसरी लहर के बीच कितना तैयार उत्तराखंड?

By

Published : Apr 15, 2021, 7:11 PM IST

Updated : Apr 15, 2021, 10:18 PM IST

उत्तराखंड में कोरोना वायरस की दूसरी लहर और महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद स्थिति बेकाबू होती दिखाई दे रही है.

Uttarakhand corona News Update
उत्तराखंड के अस्पतालों का हाल.

देहरादून: उत्तराखंड में लाखों लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर हैं, खासतौर से ग्रामीण इलाकों के पहाड़ी लोग. लेकिन उत्तराखंड में कोरोना वायरस के दूसरी लहर के कारण स्थिति बेकाबू होती दिखाई दे रही है. हरिद्वार महाकुंभ और कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण प्रदेश में कोरोना संक्रमण और मरीजों की मौत का आकड़ा लगातार बढ़ रहा है. कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के साथ अस्पतालों में उपलब्ध बेड भी तेजी से फुल होते जा रहे हैं. उत्तराखंड में मार्च के महीने में जहां 30-40 कोरोना वायरस के नए मरीज सामने आते थे. वहीं, अप्रैल आते-आते मरीजों की 1900 पहुंच गई है.

धर्मनगरी हरिद्वार में सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ चल रहा है. लेकिन हरिद्वार कोरोना का एपिसेंटर बनने की कगार पर पहुंच गया है. क्योंकि, अब हालत बेहद चिंताजनक होते जा रहे हैं. कोरोना के आंकड़े और जमीनी हकीकत बेहद डरावनी होती जा रही है. आलम ये है कि अब अखाड़ों में संत समाज भी लगातार कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. लेकिन प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है. उत्तराखंड में डॉक्टरों के कुल 2753 पद हैं. जिनमें 2145 डॉक्टर ही ड्यूटी कर रहे हैं. प्रदेश में करीब 608 डॉक्टरों के पद खाली हैं.

उत्तराखंड के अस्पतालों का हाल.

प्रदेश में हैं सिर्फ 724 वेंटिलेटर

सवा करोड़ की आबादी पर उत्तराखंड सरकार एक साल में महज 724 वेंटिलेटर की व्यवस्था कर सकी है. मार्च 2020 में जब कोरोना ने उत्तराखंड में दस्तक दी थी, उस समय प्रदेश में 165 वेंटिलेटर मौजूद थे. कोरोना काल में इनकी संख्या बढ़कर 724 हो गई है.

अप्रैल 2020 की बात करें तो प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए 38 कोविड अस्पताल और 415 कोविड केयर सेंटर मौजूद हैं. जहां पर लगभग 31 हजार आइसोलेशन बेड हैं. कुल ऑक्सीजन बेड की क्षमता 3317 है. इसी तरह आईसीयू बेड की संख्या 815 है. कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए 724 वेंटिलेटर प्रदेश में उपलब्ध हैं.

प्रदेश में 125 मीट्रिक टन ऑक्सीजन

कोरोना मरीजों को सांस लेने में होने वाली दिक्कत को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है. अधिकारियों के प्रदेश में 125 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है. इसके अलावा कुछ अस्पतालों में स्वचालित ऑक्सीजन पाइप लाइन स्थापित की गई है, जो खुद ऑक्सीजन बना रही हैं.

ये भी पढ़ें:उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को है 'सर्जरी' की जरूरत, मरीजों का नहीं कोई मसीहा

डेडिकेटेड अस्पतालों का हाल

दरअसल, बीते साल कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद सरकार ने मई महीने में 15 बड़े सरकारी अस्पतालों को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल घोषित कर दिया था. यहां सिर्फ कोरोना संक्रमितों का ही इलाज किया जा रहा था. हालांकि, कोरोना संक्रमण की स्थिति काबू में आने के बाद जनवरी में कोविड अस्पतालों को सभी मरीजों के लिए खोल दिया गया था. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर संक्रमण आगे तेजी से बढ़ता रहा तो फिर डेडिकेटेड कोविड अस्पतालों को पूरी तरह से कोरोना मरीजों के इलाज के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा.

प्रदेश के कोविड अस्पताल

बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, यूएसनगर, टिहरी, उत्तरकाशी के जिला अस्पताल. इसके अलावा अल्मोड़ा का बेस अस्पताल, देहरादून मेडिकल कॉलेज, मेला चिकित्सालय हरिद्वार, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज, बीडी पांडे अस्पताल नैनीताल, बेस अस्पताल कोटद्वार और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को कोविड अस्पताल बनाया गया है.

अस्पतालों में व्यवस्थाओं की भारी

कैग रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी कि हरिद्वार, अल्मोड़ा, उधमसिंह नगर और चमोली जिले में जिला अस्पतालों में व्यवस्थाओं की भारी कमी है. कुछ जनपदों में हाईटेक आईसीयू तक की सुविधा भी नहीं है. इन जगहों पर एंबुलेंस जैसी सामान्य सुविधाओं की भी कमी देखने को मिलती रहती है. यही नहीं पहाड़ी जनपदों में कुछ जगहों पर हाईटेक आईसीयू मौजूद नहीं है. तो कुछ जगहों पर योग्य कर्मी और उपकरण की कमी भी दिखाई देती है.

ये भी पढ़ें:हाय रे नियति! कोविड टीका भी जरूरी, बुजुर्गों को नापनी पड़ रही 10 KM की दूरी

मरीज और बिस्तरों का आंकड़ा

तमाम दावों के बावजूद प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के हालात बहुत बेहतर नहीं हैं. 2019 के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अभी 433 लोगों के सापेक्ष कुल एक बेड ही उपलब्ध हैं. बेड और मरीज अनुपात पर नजर डालें तो सबसे खराब स्थिति टिहरी के सरकारी अस्पतालों में है. टिहरी में 1089 लोगों के सापेक्ष केवल एक ही बेड उपलब्ध हैं. राजधानी देहरादून की स्थिति स्वास्थ्य के मामले में थोड़ी अच्छी है. 2019 के आंकड़े बताते हैं कि यहां 176 लोगों पर एक बेड हैं. कोविड के दौरान प्रदेश के अस्पतालों में बेड की संख्या तो बढ़ी है. लेकिन, उससे कुछ खास असर देखने को नहीं मिल रहा है.

भारत सरकार के 2019 के आंकड़ों के मुताबिक देश के अस्पतालों में करीब 714,000 बिस्तर हैं. 2009 में यह संख्या 540,000 थी. भारत की बढ़ती आबादी की तुलना में प्रति 1000 लोगों पर अस्पताल के बिस्तरों की संख्या में बहुत मामूली सुधार ही हुआ है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ओईसीडी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में प्रति 1000 लोगों पर 0.5 बिस्तर मौजूद हैं.

Last Updated : Apr 15, 2021, 10:18 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details