देहरादून: प्रदेश में सभी पार्टियों ने आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं. वहीं सूबे में चुनाव से पहले दल बदल की राजनीतिक की हवा तेज हो गई है. फिलहाल पार्टियां विपक्षी दलों के नेताओं के अपनी पार्टी में आने का दावा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. जिससे राजनीतिक गलियारों में गहमागहमी तेज हो गई है.
प्रदेश में दल बदल की चर्चाओं से सियासत तेज. प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों की बिसात अभी से बिछने लगी है. बीजेपी जहां राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा किए गए कामों के सहारे जनता के बीच जाने की तैयारी में है, वहीं विपक्षी कांग्रेस में प्रदेश सरकार की कमियां और किसान कानूनों को मुद्दा बनाकर चुनावी समर में उतरना चाहती है. वहीं विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की राजनीतिक पार्टियां खुद की मजबूती के दावों को विरोधियों में दलबदल की भगदड़ होने के बयानों के साथ दे रही हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा बयानबाजी भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से ही आ रही है. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सरकार से बड़े चेहरों को अपनी पार्टी में शामिल करवाने का दावा कर रही है, तो चर्चाएं यह भी है कि भाजपा में कांग्रेस के एक पूर्व विधायक जल्द शामिल हो सकते हैं.
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यूं तो कई बार ऐसे बयानों को महज विरोधियों का मनोबल तोड़ने के लिए भी दिया जाता है. लेकिन चुनाव के लिए बेहद कम समय होने के चलते हैं. ऐसे दलबदल की संभावनाओं से इनकार भी नहीं किया जा सकता है. आम आदमी पार्टी के नेता अमरेंद्र बिष्ट कहते हैं कि उनके पार्टी प्रभारी की तरफ से भाजपा के एक मंत्री और कुछ विधायकों के आम आदमी पार्टी में शामिल होने के दिए गए बयान को गंभीरता से लेना चाहिए. क्योंकि यह चुनाव से पहले हवा में दिया गया बयान नहीं है. क्योंकि कई विरोधी दलों के नेता हैं जो आम आदमी पार्टी की लहर के कारण उसमें शामिल होना चाहते हैं और आने वाले दिनों में इसका असर भी दिखेगा. भाजपा में भी कांग्रेस से जाने वालों की लंबी लिस्ट बताई जा रही है.
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फिलहाल एक पूर्व विधायक का नाम इस चर्चा में शुमार है. लेकिन कांग्रेस इन सबसे बेखबर और बेपरवाह दिख रही है. कांग्रेस के नेता यह बात तो मानते हैं कि चुनाव से पहले भगदड़ और दलबदल होना लाजमी है. लेकिन वह इस बात से भी इनकार नहीं करते कि कांग्रेस को आने वाले दिनों में दल बदल के कारण तगड़ा झटका लग सकता है. हालांकि कांग्रेसी नेता कहते हैं कि दलबदल से कांग्रेस को कुछ खास असर नहीं पड़ता क्योंकि जब भी दल बदल हुआ है और कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश की गई है तब कांग्रेस और भी मुखर होकर सामने आई है.