देहरादून: कोरोना संकटकाल में जारी पूर्ण लॉकडाउन के बाद से ही प्रदेश के सभी स्कूल पिछले 10 महीनों से बंद चल रहे हैं. हालांकि नवंबर माह से बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए स्कूलों को खोल दिया गया है. लेकिन अब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आने के चलते प्रदेश सरकार ने आगामी 8 फरवरी से कक्षा 6 से लेकर कक्षा 9 तक के छात्रों के लिए भी स्कूलों को खोले जाने का निर्णय ले लिया है. ऐसे में छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण का खतरा और दूसरी तरफ बच्चों की इन 10 महीनों के अंतराल में बदली हुई दिनचर्या को दोबारा पटरी पर लाना है.
स्कूलों को 8 फरवरी से कक्षा 6 से लेकर 9वीं तक के छात्रों के लिए खोले जाने को लेकर अभिभावकों की अलग-अलग राय है. ईटीवी भारत से बात करते हुए नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट राइट्स( एनपीएसआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि इन 10 महीनों के अंतराल में स्कूली छात्र-छात्राओं की दिनचर्या काफी बदली है. जहां बच्चे पिछले लंबे समय से घरों में कैद हैं, तो वहीं बच्चों में स्कूल के लिए तैयार होकर निकलने की प्रवृत्ति भी काफी हद तक खत्म हो चुकी है. ऐसे में वह चाहते हैं कि सरकार को छोटे बच्चों के लिए स्कूलों को 8 फरवरी से खोले जाने पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत है. सरकार को चाहिए कि 8 फरवरी के बजाय नए शैक्षणिक सत्र से ही दोबारा स्कूलों को सभी छात्र-छात्राओं के लिए खोलें. इससे छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावकों को भी सहूलियत होगी.