देहरादून: राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार से पृथक उत्तराखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली स्वर्गीय सुशीला बलूनी की स्मृति में कोई पुरस्कार या फिर कोई योजना चलाये जाने की मांग उठाई है. राज्य आंदोलनकारी मंच के जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि पृथक उत्तराखंड राज्य आंदोलन में स्वर्गीय सुशीला बलूनी के योगदान को नहीं बुलाया जा सकता है.
महिला आंदोलनकारी सुशीला बलूनी को सम्मान दिए जाने की मांग तेज, राज्य आंदोलन में रही अहम भूमिका - State agitator Sushila Baluni
State Agitating Demand राज्य आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से लामबंद हैं. इसी कड़ी में राज्य आंदोलनकारियों पर धामी सरकार पर सवाल उठाते हुए, मांगों को जल्द पूरा करने को कहा. साथ ही मांग पूरी ना होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Oct 30, 2023, 10:10 AM IST
|Updated : Oct 30, 2023, 10:41 AM IST
प्रदीप कुकरेती ने कहा कि इतिहास के पुरोधा रहे स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी, श्रीदेव सुमन, चिपको आंदोलन की गौरा देवी की तरह स्वर्गीय सुशीला बलूनी की स्मृति में कोई पुरस्कार या फिर कोई योजना चलाई जानी चाहिए, ताकि राज्य आंदोलन में उनके संघर्ष और उनकी विनम्रता को याद किया जा सके. उन्होंने कहा कि सुशीला बलूनी एक ऐसी महिला थी जो राज्य आंदोलनकारियों के लिए सरकार और शासन से लड़ती थी, ऐसे में बलूनी के नाम से कोई योजना है या सम्मान प्रारंभ होना चाहिए.
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वहीं प्रदीप कुकरेती ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से क्षैतिज आरक्षण बहाली के लिए संघर्ष किया जा रहा है, और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से राज्य आंदोलनकारियों को पूरी उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री उनकी मुख्य मांग का निस्तारण करेंगे. लेकिन न जाने कौन उन उम्मीदों पर पलीता लगाने का काम कर रहा है, इससे विवाद भी उत्पन्न हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले आरक्षण को लेकर उप समिति बनाई, उसके बाद आंदोलनकारियों को गैरसैंण सत्र से उम्मीद जगी कि अब उन्हें कोई पुरस्कार मिलेगा, फिर उसके बाद प्रवर समिति गठित की जाती है, लेकिन समिति की ओर से तिथि बढ़ाये जाने लगी. उन्होंने उम्मीद जताई कि अब आने वाले 31 तारीख को आंदोलनकारियों के 10% क्षैतिज आरक्षण को लेकर विराम लगने जा रहा है और आशा है कि आंदोलनकारियों को दीपावली में सरकार की ओर से तोहफा मिलेगा.