देहरादूनः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए राज्य सरकार ने स्टाफ नर्सों के पदों पर 28 मई को होने वाली भर्ती को स्थगित कर दिया था. अब उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने सभी जिलों में लिखित परीक्षा कराने का फैसला लिया है. जबकि, पहले देहरादून और हल्द्वानी में ही परीक्षा केंद्र बनाए गए थे. स्वास्थ्य सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडे ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं. आदेश जारी होने के बाद परिषद ने जिलेवार परीक्षा कराने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. उधर, स्टाफ नर्सों ने सरकार के फैसले के विरोध में प्रदर्शन भी किया.
स्टाफ नर्सों का प्रदर्शन. फिलहाल, स्टाफ नर्स भर्ती के लिए परीक्षा की तिथि को घोषित नहीं किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि जून महीने के दूसरे या तीसरे हफ्ते में लिखित परीक्षा प्रदेश के सभी जिलों में कराई जा सकती है. राज्य में पहली बार उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद के माध्यम से स्टाफ नर्सों की भर्ती कराई जा रही है. स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में स्टाफ नर्सों के 2621 पदों के लिए करीब 10,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है.
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बता दें कि कोरोनाकाल के दौरान प्रदेश में स्टाफ नर्सों की कमी को देखते हुए उत्तराखंड शासन ने 28 मई को भर्ती परीक्षा आयोजित करने की मंजूरी दी थी. जिसके बाद परिषद ने प्रदेश के 2 स्थानों देहरादून और हल्द्वानी में 27 परीक्षा केंद्र बनाए थे. कोरोना महामारी के इस दौर में उम्मीदवारों को आने-जाने में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए संगठनों ने परीक्षा पर आपत्ति जताई थी. जिसके चलते सरकार ने परीक्षा को स्थगित कर दिया था. ऐसे में अब एक बार फिर सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में स्टाफ नर्सों की भर्ती परीक्षा कराने का निर्णय लिया है.
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सुशीला तिवारी अस्पताल के स्टाफ नर्सों ने प्रदर्शन कर जताया विरोध
तीरथ सिंह रावत सरकार की ओर से लिए गए कई फैसले उनके गले के लिए हड्डी बन रही है. ऐसे में स्टाफ नर्सों की होने वाली भर्ती की लिखित परीक्षा का प्रदेश के स्टाफ नर्सों ने विरोध जताया है. हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में स्टाफ नर्सों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन करते हुए कहा कि अभी तक स्टाफ नर्स की भर्ती के लिए किसी तरह की कोई लिखित परीक्षा नहीं होती थी. इस बार सरकार लिखित परीक्षा कराकर पुराने स्टाफ नर्सों की हक को मारने की कोशिश कर रही है.
स्टाफ नर्स ने कहा कि वे पिछले कई सालों से स्टाफ नर्स का अस्थाई तौर पर काम कर रही हैं. अभी तक जो भी भर्तियां होती थी, वो मेरिट के आधार पर होती रही हैं. ऐसे में सरकार की ओर से स्टाफ नर्स के लिए ली जाने वाली लिखित परीक्षा को तुरंत रद्द कर मेरिट के आधार पर भर्ती की जानी चाहिए. वहीं, स्टाफ नर्सेज ने बताया कि कम सैलरी में वे कई सालों से काम कर रही हैं. ऐसे में प्राथमिकता के आधार उन्हें भी विभागीय नियुक्ति का अधिकार मिलना चाहिए.
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बागेश्वर में नर्सों ने काला फीता बांधकर जताया विरोध
सरकार ने अपने फैसले से पलटते हुए एक बार फिर नर्सिंग भर्ती परीक्षा को आयोजित करने का फैसला कर तो लिया है, लेकिन अब सरकार के इस निर्णय का नर्सें ही विरोध कर रही हैं. उनका कहना है कि सरकार के बार-बार इस मामले में अलग-अलग निर्णयों से भर्ती परीक्षा में सम्मिलित होने वाले परीक्षार्थियों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. सरकार के निर्णय के खिलाफ बागेश्वर में नर्सों ने काले फीते बांध कर अपनी ड्यूटी दी. उनका कहना है कि पूर्व से चली आ रही चयन प्रक्रिया के आधार पर वरिष्ठता व अंक गुणांक के अनुसार नियुक्ति की जाए और उन्हें पहले वरीयता दी जाए. जो चयन आयु की सीमा को पूर्ण कर रहे हों और जो वर्षों से संविदा पर अल्प वेतन में अपनी सेवाऐं दे रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता में चयन करना चाहिए.