देहरादूनःइंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने अगले राष्ट्रीय खेलों का झंडा उत्तराखंड के हाथों में थमा दिया है. अब अगले राष्ट्रीय खेलों की सफल मेजबानी करना और बिना किसी लापरवाही के अपने होम ग्राउंड के साथ अंक तालिका में खुद को बेहतर स्थिति में लाना, उत्तराखंड खेल विभाग की पहली प्राथमिकता है. पिछले डेढ़ साल में उत्तराखंड खेल विभाग ने प्रदेश में राष्ट्रीय खेलों के स्टैंडर्ड को देखते हुए काफी काम किए हैं. लेकिन फिर भी खेल विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती खेल संघ को साधने की है. खेल विभाग की यह चुनौती भौतिक रूप से तो नहीं देखी जा सकती है. लेकिन पिछले कई सालों से खेल संघ की मनमानी और उनका एकाधिकार कहीं ना कहीं खेल विभाग को बैकफुट पर लेकर आया है.
उत्तराखंड में 30 से ज्यादा स्पोर्ट्स फेडरेशन: उत्तराखंड में अगले साल तकरीबन 34 प्रतिस्पर्धा में राष्ट्रीय गेम्स होने हैं. उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन से मान्यता प्राप्त तकरीबन 30 खेलों के 30 एसोसिएशन काम कर रहे हैं. उत्तराखंड खेल विभाग के अनुसार, ऐसे खेल जो ओलंपिक खेल नहीं हैं, के भी प्रदेश में संगठन मौजूद हैं. इस तरह से प्रदेश में 30 से ज्यादा प्रकार के खेलों के लिए अलग-अलग स्पोर्ट्स फेडरेशन काम कर रही है, जो लगातार खेल विभाग से खिलाड़ियों के लिए तमाम तरह के टूर्नामेंट के लिए और अलग-अलग प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों को भाग करवाने के लिए खेल विभाग उत्तराखंड से अनुदान प्राप्त करते हैं.
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क्या है खेल संघों का विवाद?: वर्ष 2011 से लगातार उत्तराखंड में खेल और खिलाड़ियों पर पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसाईं बताते हैं कि उत्तराखंड राज्य गठन से पहले खेल को लेकर देहरादून और लखनऊ के बीच में एक द्वंद्व चला करता था. राज्य गठन के बाद यह अनुमान लगाया गया कि शायद अब उत्तराखंड राज्य का खेल और खिलाड़ी एकजुट होगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसाईं बताते हैं कि राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में खेल संघों का पूरा एकाधिकार नैनीताल और उधमसिंह के लोगों ने ले लिया. आज भी उत्तराखंड के कई स्पोर्ट्स फेडरेशन के पदाधिकारी केवल उधमसिंह नगर और नैनीताल से आते हैं. ऐसे में पूरे प्रदेश के खिलाड़ियों और खेल के कौशल को सामने लाने की बात करना थोड़ा बेईमानी सा लगता है. इसके अलावा भी वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसाईं ने उत्तराखंड के खेल फेडरेशन पर कई सवाल खड़े किए हैं
- ऊधमसिंह नगर और नैनीताल से खेल संघ के ज्यादातर पदाधिकारी आते हैं.
- उत्तराखंड के कई खेल संघों को केंद्रीय फेडरेशन की मान्यता नहीं.
- कई खेल संघ राजस्थान की प्रतियोगिताएं नहीं कराते हैं.
- प्रदेश में फेंसिंग, खो-खो, वॉलीबॉल जैसे खेलों की स्टेट चैंपियनशिप नहीं होती है.
- बैडमिंटन, टेबल टेनिस जैसे कुछ खेलों की राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं होती है.
- मानकों के अनुरूप न होने के बावजूद भी सभी स्पोर्ट्स फेडरेशन खेल विभाग से अनुदान ले रहे हैं.
- खेल विभाग की तरफ से खेल संघ की सख्ती से निगरानी नहीं की जा रही है.
- नई खेल नीति के बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं.
ईमानदारी और मानकों के अनुसार काम करने की जरूरत: वरिष्ठ पत्रकार राजू गुसाईं का कहना है कि प्रदेश सरकार नई खेल नीति की बात तो करता है. लेकिन उस नई खेल नीति का असर हाल में हुए नेशनल गेम्स पर बिल्कुल भी देखने को नहीं मिला. राजू गुसाईं का कहना है कि जब तक उत्तराखंड के खेल संघ ईमानदारी से और पूरे मानकों के अनुसार काम नहीं करेंगे, तब तक उत्तराखंड में खेल और खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस नहीं सुधरेगी.
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राजू गुसाईं कहते हैं कि सरकार मेडल लाने वाले खिलाड़ियों को नौकरी देगी, उन्हें प्रोत्साहन देगी. लेकिन खिलाड़ियों को मेडल लाने लायक माहौल देने की जिम्मेदारी भी विभाग की है. खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के बाद लाभ देना जरूरी हो सकता है. लेकिन उस से भी ज्यादा जरूरी है खिलाड़ियों को अच्छा माहौल दिया जाए, जो बिना खेल संघों के प्रयास के बेहद मुश्किल है. पिछले कुछ सालों के परफॉर्मेंस पर नजर डालें तो उत्तराखंड का राष्ट्रीय खेलों में ऐसा प्रदर्शन रहा है.
- पंजाब नेशनल गेम्स (2001), उत्तराखंड 1 रजत और 1 कांस्य पदक (कुल 2) जीतकर 25वें स्थान पर रहा.
- 2002 हैदराबाद में हुए राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड 5 स्वर्ण, 1 रजत और 4 कांस्य पदक (कुल 10) जीतकर 13वें स्थान पर रहा.
- गुवाहाटी राष्ट्रीय खेल (2007), उत्तराखंड 4 स्वर्ण, 4 रजत और 5 कांस्य पदक (कुल 13) जीतकर पदक तालिका में 18वें स्थान पर रहा.
- रांची राष्ट्रीय खेल (2011), उत्तराखंड 4 स्वर्ण, 4 रजत और 5 कांस्य पदक (कुल-13) जीतकर 19वें स्थान पर रहा.
- केरल राष्ट्रीय खेल (2015), उत्तराखंड ने 32 प्रतिभागियों के बीच 23वें स्थान पर रहते हुए 2 स्वर्ण, 5 रजत और 12 कांस्य पदक (कुल पदक: 19) जीते.
- गुजरात 36वें राष्ट्रीय खेल (2022), उत्तराखंड ने 1 स्वर्ण, 8 रजत और 9 कांस्य पदक (कुल: 18) जीतकर पदक तालिका में 26वां स्थान हासिल किया. पदक तालिका में उत्तराखंड का यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है. राष्ट्रीय खेलों में कुल 32 टीमों ने भाग लिया.
- 37वें राष्ट्रीय खेलों का समापन 9 नवंबर 2023 को गोवा में हुआ. जहां उत्तराखंड 3 स्वर्ण, 7 रजत और 14 कांस्य साथ कुल 24 मेडल प्राप्त करने में सफल रहा. इस तरह पदक तालिका में 24वें स्थान पर रहा. यह प्रदर्शन बिल्कुल भी प्रभावशाली नहीं माना जा सकता है. क्योंकि आखिरी 2022 के राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड 26वें स्थान पर था तो वहीं 2015 में उत्तराखंड 23वें स्थान पर था.