देहरादून:विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर को मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने1980 में इसकी शुरुआत की थी. यह विशेष दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन 1970 में यूएनडब्ल्यूटीओ का कानून प्रभाव में आया था. इसे विश्व पर्यटन के क्षेत्र में बहुत बड़ा मील का पत्थर माना जाता है.
उत्तराखंड की नैसर्गिक खूबसूरती का दीदार करने हर साल देश ही नहीं विदेशों से भी सैंकड़ों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. उत्तर भारत में स्थित यह प्रदेश एक शांत पर्यटन केंद्र है. उत्तराखंड का नाम उन जगहों में शुमार है, जो अपनी सुंदरता के चलते लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. 'देवताओं की भूमि' के रूप में माना जाने वाला उत्तराखंड अपने शांत वातावरण, मनमोहक दृश्यों के चलते धरती का स्वर्ग माना जाता है.
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कुछ सालों पहले तक चारधाम के साथ ही पर्यटक नैनीताल, मसूरी, टिहरी, अल्मोड़ा, धनोल्टी जैसी जगहों का टूरिस्ट डेस्टिनेशन का रुख किया करते थे. वहीं बीते कुछ सालों से अब पर्यटकों की पसंद बदलने सी लगी है. अब देवभूमि उत्तराखंड का रुख करने वाले पर्यटक यहां के कुछ नए टूरिस्ट डेस्टिनेशंस का रुख करने लगे हैं. उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की बात करें तो मुनस्यारी, लैंसडाउन, चोपता, औली पहली पसंद बनती जा रही है. दरअसल प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने की वजह से नैनीताल, मसूरी, धनोल्टी जैसे पर्यटक स्थलों में साल भर भीड़-भाड़ रहती है. ऐसे में शांति और सुकून की तलाश में अब पर्यटक मुनस्यारी, लैंसडाउन, चोपता, और औली जैसे पर्यटक स्थलों का रूख करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के निदेशक नरेंद्र सिंह बताते हैं, कि राज्य सरकार और पर्यटन विभाग प्रदेश के सभी 13 जनपदों में नए पर्यटक स्थल तलाशने में जुटा हुआ है. यही कारण है कि अब पर्यटक नैनीताल, मसूरी, अल्मोड़ा जैसे पर्यटक स्थलों के साथ ही मुनस्यारी, चौकुड़ी, चोपता जैसे पर्यटक स्थलों का लुफ्त लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. यहां की बर्फ से ढकी पहाड़िया, खूबसूरत झरने और बुग्याल पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करते हैं.