देहरादून: उत्तराखंड राजनीतिक रूप से दिल्ली के और भी नजदीक आ गया है. मोदी सरकार के कैबिनेट में हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को जगह मिलना इस बात की तस्दीक है. राज्य बनने के बाद यह पहला मौका है जब किसी केंद्र सरकार ने प्रदेश के किसी नेता को प्रमुख पद देकर सूबे का मान बढ़ाया हो. राष्ट्रीय राजनीति में उत्तराखंड की बढ़ती सक्रियता पर देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट.
केंद्र में सूबे का बढ़ता वर्चस्व. उत्तराखंड में ऐसे कई नेता हुए हैं, जिन्होंने न केवल राज्य बल्कि देश की सत्ता में भी अहम योगदान दिया है. गोविंद बल्लभ पंत और एनडी तिवारी जैसे नेताओं ने तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद समेत केंद्र में नीति-नियंता के रूप में भी काम किया. वहीं, उत्तराखंड बनने के बाद केंद्र की सत्ता पर राज्य की पकड़ धीरे-धीरे कमजोर होने लगी.
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मोदी सरकार के गठन के दौरान प्रदेश को तवज्जों मिलना इस बात के सीधे संकेत हैं. एक ओर डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को केंद्र सरकार में एमएचआरडी जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. वहीं, भाजपा संगठन में अनिल बलूनी अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं. सरकार और संगठन दोनों ही जगह प्रदेश में एक मजबूत स्थिति में प्रतिनिधित्व कर रहा है.
उत्तराखंड से पीएम मोदी का खास लगाव होने की एक बड़ी वजह
- साल 2014 के बाद 2019 में एक बार फिर प्रदेश की जनता ने भाजपा पर पूरी तरह से भरोसा जताया और भारी मतों से सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की.
- राज्य के राजनेताओं के अनुभव और कुशलता पर पीएम मोदी का भरोसा होना.
- 2014 के दौरान डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की लोकसभा में परफॉर्मेंस भी एक बड़ी वजह बनी.
जानकारों के अनुसार, भौगोलिक लिहाज से दिल्ली-उत्तराखंड की कम दूरी का भी फायदा, प्रदेश के राजनेताओं को मिलता रहा है. साथ ही धार्मिक महत्व वाले प्रदेश पर राष्ट्रीय स्तर के बड़े नेताओं की आस्था होने के कारण भी राज्य को काफी फायदा मिला है.
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष डिमरी के अनुसार, उत्तराखंड के कई बड़े नेता केंद्र में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. यह उत्तराखंड के लिए पहला मौका है, जब प्रदेश के किसी सांसद को सरकार गठन के साथ ही कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी मिली हो.