देहरादून: राज्य सरकार एक अच्छी पहल करने जा रही है, जिसके तहत अतिकुपोषित बच्चों को अब प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारी गोद लेंगे. जिसका मकसद प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को कुपोषण के शिकार से बचाना है. गोद अभियान के तहत राज्य सरकार की यह पहल पूरे सितंबर तक चलेगी. इसके तहत सितंबर महीने में प्रदेश के सभी कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया जाएगा, जिसे जिम्मेदार अधिकारी गोद लेंगे. इसके साथ ही पूरे महीने चलने वाले इस अभियान के तहत ग्रोथ रिपोर्ट की मॉनिटरिंग भी की जाएगी.
देशभर में कुपोषण एक गंभीर समस्या है. एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया में भारत एक ऐसा देश है, जहां हर साल कुपोषण से लगभग 10 लाख बच्चों की मौत होती है. इसके साथ ही भारत में कुछ ऐसे स्लम एरिया हैं, जहां बच्चे आज भी कुपोषण का शिकार होकर अपनी जान गंवा रहे हैं. अगर इन क्षेत्रों में ध्यान दिया जाए तो ये आंकड़े कम किये जा सकते हैं.
इस गंभीर महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को इससे निपटने के लिए निर्देश दिए हैं. जिस पर राज्यों ने काम करना शुरू कर दिया है. लिहाजा, उत्तराखंड के आला अधिकारी प्रदेश के कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनकी देखभाल करेंगे. साथ ही हर महीने ग्रोथ रिपोर्ट की मॉनिटरिंग भी करेंगे.
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यह एक वॉलेंट्री वर्क- सीएम
वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह एक वॉलेंट्री वर्क है. क्योंकि हमारे बीच बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जिनकी बच्चों को गोद लेने की इच्छा होती है. इसी से यह विचार निकलकर आया है कि प्रदेश के अति कुपोषित बच्चों को गोद लिया जा सकता है. बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'मन की बात' में अतिकुपोषित बच्चों को गोद लेने का आह्वान किया था. उसी नीति के तहत राज्य में गोद लेने का कार्य शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि जो दाल हम खाते हैं, उसे साबुत उबालकर खाने से फायदा होगा या फिर पीसकर खाने से. इन छोटी-छोटी चीजों पर अगर थोड़ा सा ध्यान दिया जाए तो खाने की चीजों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे पाचन तंत्र पर भी कम दबाव पड़ता है. लिहाजा, इसी वजह से बच्चों को गोद लेने का कार्यक्रम शुरू किया गया है.