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सावन में भगवान शिव होंगे प्रसन्न, नियमित जपें ये मंत्र

सावन (Sawan) माह में शिव भक्त भगवान शंकर की विविध रूप से पूजा (Pooja) करते हैं. भगवान शिव (Shiva) को प्रसन्न करने के लिए गंगाजल, अक्षत, गाय का दूध, भांग, मदार, धतूरा आदि अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करने से भी भगवान शिव कृपा करते हैं. इसके अलावा भी कुछ मंत्र हैं जिनका पाठ करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. जानिए इन मंत्रों के बारे में....

भगवान शिव
भगवान शिव

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Published : Jul 30, 2021, 4:00 AM IST

देहरादून:25 जुलाई से सावन (Sawan 2021) मास का आरंभ हो चुका है. सावन मास भगवान शिव का मास कहा जाता है. इस महीने में भगवान शिव की विशेष रूप से विधि-विधान से पूजा की जाती है. भगवान शिव की पूजा में कई सामग्रियों, फल-फूल, बेलपत्र या बिल्वपत्र को अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा के दौरान मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है.

मंत्रों के जाप से भक्तों पर भगवान शिव की असीम कृपा बरसती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिव तांडव (Shiv tandaw) या रुद्राष्टक का नियमित पाठ करना सबके लिए संभव नहीं होता है. ऐसे में कहा जाता है कि भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र (Shiv Panchakshari Mantra) 'ॐ नम: शिवाय' के जाप से भी भगवान शिव (lord Shiva) बेहद प्रसन्न होते हैं. भगवान शिव के इस मंत्र के अलावा भी कुछ अन्य मंत्र हैं जिनके पाठ से भोले बाबा प्रसन्न होते हैं.

महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra)

ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

भगवान शिव के इस मंत्र के बारे में कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) के जाप से अकाल मृत्यु नहीं होती. माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से बड़ा से बड़ा रोग भी सही हो जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि स्नान करते समय इस मंत्र को बोलने से आरोग्यता प्राप्त होती है. महामृत्युंजय मंत्र के जाप से जीवन की कई परेशानियां अपने आप दूर हो जाती हैं. क्षमतानुसार इस मंत्र का जाप किया जा सकता है या विशेष परिस्थितियों में पुरोहित से इस मंत्र का जाप करवाया जा सकता है.

जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान

रुद्राक्ष की माला से ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए.

जाप करते समय रुद्राक्ष की माला को गौमुखी में ढककर रखना चाहिए.

शास्त्रों में मंत्र जाप करते समय स्पष्ट रूप से उच्चारण का बहुत महत्व बताया गया है. इसलिए जाप करते समय उच्चारण की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए.

प्रतिदिन कम से कम एक माला जाप जरूर करना चाहिए.

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भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र (Shiv Panchakshari Mantra)

ॐ नम: शिवाय

भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देवों के देव माने जाते हैं. ‘ॐ नम: शिवाय’ के जाप में उत्पन्न नाद ‘ॐ’ को शास्त्रों में शिव का ही पर्याय बताया गया है. शिव अर्थात सृष्टि के सृजनकर्ता को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप ही काफी है. शिव के इस पंचाक्षरी मंत्र (Shiv Panchakshari Mantra) के बारे में स्कंद पुराण में भी लिखा गया है.

स्कंद पुराण में लिखा है कि यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है. इसके जाप से पापों का नाश होता है. ये मंत्र साधक को लौकिक, पारलौकिक सुख देने वाला है. इस जाप में ‘नम: शिवाय’ की पंच ध्वनियां सृष्टि में मौजूद पंचतत्त्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है. शिव के इस पंचाक्षर मंत्र में सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित करने की क्षमता है और इसका जाप नियमित करने पर शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है.

ऐसे करें जाप

ॐ नम: शिवाय का जाप शिवालय, तीर्थ या घर में साफ, शांत और एकांत जगह में बैठकर करना चाहिए. ॐ नम: शिवाय का जाप कम से कम 108 बार रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए, क्योंकि रुद्राक्ष भगवान शिव को अतिप्रिय है. जाप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए.

भगवान शिव के ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है, किंतु शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. कुछ अन्य मंत्र होते हैं जिनका जाप करने से भी भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा करते हैं. शिव गायत्री मंत्र के साथ कुछ मंत्रों का जाप करने से विशेष पुण्यलाभ मिलता है.

शिव गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र प्रचोदयात्।।

इस शिव गायत्री मंत्र के साथ इन मंत्रों का भी करें जाप-

  • ॐ साधो जातये नम:।।
  • ॐ वाम देवाय नम:।।
  • ॐ अघोराय नम:।।
  • ॐ तत्पुरुषाय नम:।।
  • ॐ ईशानाय नम:।।
  • ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
  • ॐ हराय नम:||

इन मंत्रों के अलावा कुछ अन्य मंत्र भी हैं जो भगवान शिव को बेहद प्रिय हैं. ये मंत्र हैं-

  • नमो नीलकण्ठाय।
  • ॐ पार्वतीपतये नमः।
  • ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।

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