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वैश्विक पटल पर 'योग नगरी' के रूप में बनाई अलग पहचान, देखिए खास रिपोर्ट

विश्व विख्यात योग की राजधानी ऋषिकेश साहसिक खेल, अध्यात्म, गंगा घाट, चौरासी कुटिया जैसी तमाम वजह से लोगों के दिलों में बसता है. इस रिपोर्ट में जानें अतुल्य ऋषिकेश की सभी खासियतों के बारे में.

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Published : Apr 27, 2019, 1:47 PM IST

Updated : Apr 27, 2019, 2:08 PM IST

योग नगरी ऋषिकेश.

ऋषिकेश:चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरी तीर्थ नगरी ऋषिकेश पूरे विश्व में एक अलग पहचान रखती है. विदेशी पर्यटक ऋषिकेश को योग नगरी के नाम से जानते हैं. यहां स्थित मंदिरों और मठों का अपना ही एक अलग महत्व है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

प्राचीन मंदिर और आश्रम होने के नाते ऋषिकेश का धार्मिक महत्व भी है. इसलिए ऋषिकेश को योग की राजधानी कहा जाता है. क्योंकि ऋषिकेश में योग और ध्यान का प्रशिक्षण होता है. साधना के लिए साधु-संत ऋषिकेश डेरा डाले रहते हैं ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके. वहीं, योग साधना करने के लिए पूरे विश्व से लोग ऋषिकेश पहुंचते हैं.

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चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार
ऋषिकेश को चारधाम यात्रा का प्रवेश द्वार माना जाता है. चारधाम यात्रा की शुरुआत ऋषिकेश से ही होती है. यहीं से श्रद्धालु यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए प्रस्थान करते हैं. हर साल ऋषिकेश में स्थित भरत मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं. उसके बाद फिर यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खोलने की प्रक्रिया होती है. यह भी माना जाता है कि ऋषिकेश पौराणिक के केदारखंड का ही भाग है.

वैश्विक पटल पर 'योग नगरी' के रूप में बनाई अलग पहचान.

लक्ष्मण झूला
साल 1927 में ब्रिटिश हुकूमत के समय ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पुल का निर्माण किया गया था. जिसे साल 1929 में लोगों के आवाजाही के लिए खोल दिया गया. ये पुल गंगा नदी पर बना है. खास बात ये है कि लक्ष्मण झूला पुल एशिया का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज है. जिसे देखने देश और दुनिया भर से पर्यटक तीर्थनगरी पहुंचते है.

त्रिवेणी घाट
ऋषिकेश में स्थित त्रिवेणी घाट में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है. लिहाजा इस घाट पर स्नान का अपना ही एक अलग महत्व है. प्रतिदिन स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से आने वाले श्रद्धालु भी त्रिवेणी घाट पर स्नान कर पुण्य कमाते हैं. माना जाता है कि गंगा नदी में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं.

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नीलकंठ महादेव मंदिर
ऋषिकेश नगर टिहरी, पौड़ी और देहरादून जिलों की सीमाओं को जोड़ता है. पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक अंतर्गत मणिकूट पर्वत स्थित नीलकंठ महादेव का पौराणिक मंदिर है. मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से निकले विष को अपने कंठ में उतारने के बाद भगवान शिव मणिकूट पर्वत पर आ गए थे. जिस कारण यहां नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण किया गया. वहीं, सावन के महीने में लाखों शिवभक्त शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए यहां पहुंचते हैं.

साहसिक खेलों का गढ़
ऋषिकेश पर्यटन नगरी के रूप में भी अपनी एक अलग पहचान रखता है. यहां पर साहसिक खेलों के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं. ऋषिकेश में कैंपिंग और व्हाइट वाटर राफ्टिंग के लिए वीकेंड पर ऋषिकेश पर्यटकों से गुलजार रहता है. साथ ही बंजी जंपिंग, फ्लाइंग फॉक्स जैसे साहसिक खेलों का आनंद उठाने के लिए भी बड़ी संख्या में पर्यटक ऋषिकेश पहुंचते हैं.

पहाड़ों से गिरने वाले झरने
ऋषिकेश में प्राकृतिक रूप से गिरते झरनों का आनंद उठाने भी पर्यटक बड़ी संख्या पहुंचते हैं. यहां नीर गांव स्थित झरना बेहद आकर्षक है. वहीं, गरुड़ चट्टी के पास लगभग जंगल के 500 मीटर अंदर पटना वाटर फॉल के नाम से का बेहद खूबसूरत झरना है. जहां बड़ी संख्या में विदेशी पहुंचते हैं. साथ ही ऐसे कई छोटे-छोटे झरने हैं, जहां पहुंचकर पर्यटक खूद को प्रकृति के करीब पाते हैं.

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शंकराचार्य नगर स्थित 84 कुटिया
राम झूला के शंकराचार्य नगर स्थित 84 कुटिया को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. 84 कुटिया को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जाना जाता है. योग और ध्यान में महारथी महर्षि महेश योगी ने साल 1961 में राजाजी नेशनल पार्क के भीतर 84 कुटिया नामक आश्रम का निर्माण कराया था. इसी चौरासी कुटिया में प्रसिद्ध बीटल्स बैंड के 4 सदस्यों ने काफी समय बिताया. इसलिए इस जगह को चौरासी कुटिया के साथ-साथ बीटल्स आश्रम के नाम से भी जाना जाता है. लिहाजा, इस जगह भी बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं.

बहरहाल, हिमालय पर्वत की तलहटी में बसा ऋषिकेश समुद्र तल से 409 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. जो चारों ओर से शिवालिक रेंज से घिरा हुआ है. हिमालय की पहाड़ियां से बहती गंगा नदी ऋषिकेश को और भी अतुल्य बनाती है. अपने शांत वातावरण के कारण इस तीर्थनगरी में कई आश्रम मौजूद हैं, जहां बड़ी संख्या में हर साल देशी-विदेशी पर्यटक ध्यान करने भी पहुंचते हैं.

Last Updated : Apr 27, 2019, 2:08 PM IST

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