देहरादून: स्मार्ट सिटी बन रही राजधानी दून की जनता ट्रैफिक नियमों का पालन करने के मामले में कितनी स्मार्ट हैं, ईटीवी भारत की टीम ने इसकी पड़ताल करने के लिए दून की सड़कों पर एक REALITY CHECK किया. रियलिटी चेक के दौरान ट्रैफिक नियमों के पालन में अहम भूमिका निभाने वाले जेब्रा क्रॉसिंग का लोग कितना ख्याल रखते हैं और इसके प्रति कितने जागरुक हैं, ये भी देखा गया.
ट्रैफिक नियमों को लेकर REALITY CHECK. रियलिटी चेक के लिए सबसे पहले ईटीवी भारत की टीम देहरादून के राजपुर रोड स्थित बहल चौक पहुंची. यहां मुख्य चौराहे पर रेड सिग्नल होने पर सभी वाहन तो रुक गए, लेकिन अधिकतर लोगों ने जेब्रा क्रॉसिंग के आगे या इसपर ही अपने वाहन खड़े कर दिए. ऐसे में जब इन वाहन मालिकों से हमारी टीम ने जेब्रा क्रॉसिंग का मतलब और इसपर वाहन खड़े करने का कारण पूछा तो हर किसी ने इसका मतलब तो बता दिया, लेकिन इसे रोजमर्रा में न उतार पाने के कई बहाने बनाने लगे.
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बहल चौक के बाद जब हमारी टीम रियलिटी चेक के लिए दिलाराम चौक पहुंची तो वहां भी लोग रेड सिग्नल होने पर अपने वाहन को जेब्रा क्रॉसिंग पर खड़े करते दिखे. राजधानी के सभी मुख्य चौराहों पर जब ये रियलिटी चेक किया गया तो यही सामने आया कि लोगों को ट्रैफिक नियमों के बारे में पता होने के बावजूद भी ट्रैफिक सिग्नल से जल्दी अपनी गाड़ी निकालने के चक्कर में इन नियमों को ताक पर रखते हैं.
क्या हैजेब्रा क्रॉसिंग?
मुख्य चौराहे पर सड़क पर बनी काली और सफेद धारियां को जेब्रा क्रॉसिंग कहा जाता है. इसे पैदल चलने वालों लोगों की सहूलियत के लिए बनाया जाता है. पैदल चलने वाले लोग भारी ट्रैफिक के बीच भी आसानी से सड़क पार कर सकें इसी मकसद से इसे बनाया गया है. बात अगर देहरादून की जनता करें तो रियलिटी चेक में हमने पाया कि दूनवासी जेब्रा क्रॉसिंग की जानकारी तो रखते हैं, लेकिन नियमों का पालन करना नहीं चाहते.