देहरादून: उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार 18 मार्च को अपना 2 साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है. इस कार्यकाल के दौरान अपनी उपलब्धियों और योजनाओं को सरकार आगामी लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी. ऐसे में इन दो सालों में सूबे की जनता को क्या-क्या मिला और कैसा रहा त्रिवेंद्र सरकार का कार्यकाल, देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट.. .
1- इन्वेस्टर समिट
प्रदेश में मौजूदा त्रिवेन्द्र सरकार की इन 2 सालों में सबसे बड़ी उपलब्धि की बात करें तो प्रदेश में इन्वेस्टर समिट की बड़ी तस्वीर जनता को दिखाई गई. इस समिट में सरकार ने राज्य में 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा के इन्वेस्टमेंट की बात कही है, जिसका फीडबैक आना अभी बाकी है.
वहीं, 5 माह के फीडबैक की बात करें तो इन्वेस्टर समिट को लेकर सरकार ने अब तक 13 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर चुकी है. प्रदेश में रोप-वे निर्माण और हरिद्वार सिडकुल क्षेत्र में कुछ प्रोजेक्टस पर कार्य चल रहा है. हालांकि, सरकार के इस इन्वेस्टर समिट से सूबे में कितना रोजगार सृजित हुआ है. इसका आंकड़ा भी सरकार नहीं जुटा पाई है.
2- आयुष्मान योजना
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे बड़ी योजना की बात करें तो आयुष्मान भारत योजना का नाम सामने आता है. इस योजना को प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के नाम से धरातल पर उतारा. इसके साथ ही 2 सालों में सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी डॉक्टरों की तैनाती के अलावा अन्य उपलब्धियां भी गिनाती आई है. लेकिन, पिछले वर्ष 2018 के आखिरी माह में केंद्र द्वारा लॉन्च की गई आयुष्मान योजना के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार का पूरा फोकस रहा है.
हालांकि, आयुष्मान योजना के 2 महीने बाद भी सरकार के पास कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है. साथ ही कितने लोग इस योजना से लाभांवित हुए हैं. इसका भी कोई आंकड़ा नहीं आया है. हालांकि,आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत अधिकृत अस्पतालों पर भी सवालिया निशान खड़े होते रहे हैं.
3- होम स्टे (13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टिनेशन)
उत्तराखंड में रोजगार और शिक्षा को देखते हुए पलायन हमेशा से एक बड़ी समस्या बनी रही है. पिछले कुछ सालों में बंजर होते गांव भी उत्तराखंड के अस्तित्व पर खतरा बनने लगे हैं. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार ने पलायन आयोग का गठन कर अन्य कई योजनाओं को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू की, जिसको पर्यटन से जोड़ने के उद्देश्य से होमस्टे नाम से उत्तराखंड के गांव तक पहुंचाने की योजना सरकार द्वारा लाई गई.
वहीं, प्रदेश सरकार की 'होम स्टे योजना' नियम और कानून की भेंट चढ़ती दिख रही है. जिसके चलते ये योजना धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रही है. साथ ही 2 साल बाद भी त्रिवेंद्र सरकार पूरे कॉन्फिडेंस के साथ होमस्टे के अंतर्गत किसी नए प्रोजेक्ट या गेस्ट हाउस की जानकारी देने में भी असमर्थ है. यही कारण है कि इस योजना का लाभ सूबे की जनता को नहीं मिल पाया है.