देहरादून: उत्तराखंड में 15 फरवरी से फायर सीजन शुरू हो गया है जो 15 जून तक चलेगा. बीते साल भीषण वनाग्नि के नुकसान से सबक लेते हुए इस बार वन विभाग ने फॉरेस्ट फायर को रोकने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है. उत्तराखंड वन विभाग की ओर से प्रदेश में पहली बार संवेदनशील और अति संवेदनशील क्षेत्रों में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान सर्वेक्षण (IIRS) के साथ मिलकर ऑटोमेटेड फॉरेस्ट फायर रिस्क एडवाइजरी सिस्टम तैयार किया गया है.
इस सिस्टम के तहत प्रदेश में वनाग्नि के मामले में पिछले रिकॉर्ड के आधार पर 24 घंटे पूर्व ही संवेदनशील और अतिसंवेदनशील वनाग्नि क्षेत्रों की जानकारी मुख्यालय कंट्रोल रूम से वाट्सएप और ईमेल और मैसेज से संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी को दी जाएगी. जिससे समय रहते संसाधनों और मैन पावर के साथ वनाग्नि को कंट्रोल कर वन संपदा को बचाया जा सके.
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मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया वन विभाग की ओर से प्रदेश के उन क्षेत्रों की पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों की एक रिपोर्ट तैयार की गई है जहां पर आग लगने के बाद स्थिति सबसे ज्यादा खराब हो जाती है. आंकड़ों के आधार पर जंगल की आग की टाइमिंग और उसके बढ़ने के कारणों का आकलन भी किया गया है. इन सबसे निपटने के लिए IIRS के साथ मिलकर ऑटोमेटेड फॉरेस्ट फायर रिस्क एडवाइजरी सिस्टम तैयार किया गया है.