देहरादून: भारतीय जनमानस में एक सोच प्रभावी है कि जो एक बार जेल चला गया वह खूंखार ही होता है और सुधर नहीं सकता. लेकिन, क्या आपको मालूम है जेल के अंदर सजा काटने वाले कैदियों के जीवन में सकारात्मक सुधार लाने के लिए कई तरह के कार्य कराए जाते हैं. ईटीवी भारत आपको राजधानी देहरादून के सुद्धोवाला जेल ले जाता है, जहां पहली बार आप करीब से इन कैदियों की दुनिया को समझ सकेंगे.
जेल में सजा काट रहे कैदियों को सुधारने के लिए कई तरह के कार्ययक्रम चलाये जाते हैं. मसलन स्किल डेवलपमेंट की तर्ज पर उन्हें अलग-अलग तरह के रोजगार से जुड़े काम सिखाये जाते हैं. जिससे वे आगे भविष्य में अपराध का रास्ता छोड़कर एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें. यहां से काम सीखकर वो अपना नया जीवन शुरू कर सकें.
कैदियों के बने फर्नीचर सचिवालय में होते हैं इस्तेमाल: उत्तराखंड की जेलों में बंद कैदियों की काबिलियत तराशने के लिए जेल प्रशासन काफी लंबे समय कारागार के अंदर स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चला रहा है. जेल के इन अथक प्रयासों का कुछ हद तक सार्थक परिणाम भी आ चुके हैं. जिसकी बानगी पिछले दिनों उत्तराखंड सचिवालय से मिले 20 लाख रुपए के फर्नीचर ऑर्डर दिखाती है.
इन फर्नीचरों को बनाने का कार्य सुद्धोवाला जेल में बंद कैदियों ने किया. ये कैदी हत्या, लूट, डकैती जैसे संगीन अपराधों में सजा काट रहे हैं. ऐसे में अब जेल में बनी कुर्सी-टेबल जैसे फर्नीचर पर अब सचिवालय के वो अधिकारी बैठ रहे हैं, जो राज्य की नीति निर्धारित करते हैं.
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वहीं, दूसरी तरफ बाजार में चाइनीज झालरों का चलन कम होते ही दीपावली जैसे शुभ मौकों पर कैदियों द्वारा बनाई गई देसी झालरों जैसे इलेक्ट्रिक आइटम की बाजार में डिमांड बढ़ रही है. सुद्धोवाला जेल को स्वदेशी झालर जैसे आइटम बनाने के लिए जेल प्रशासन को एक बड़ी कंपनी ने ऑर्डर दिया है.
बता दें देहरादून कि सुद्धोवाला जेल में क्षमता से अधिक लगभग 1400 कैदी अलग-अलग तरह के अपराधों में सजा काट रहे हैं. जिसमें से 25 से 30 फीसदी कैदियों के स्किल को डेवलप किया गया है. ऐसा कर इन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कवायद जारी है.
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जेल के अंदर हर्बल खेती उत्पादन के अलावा लोहे एवं लकड़ी फर्नीचर, बिजली के उपकरण, भवनों की शोभा बढ़ाने वाले सुंदर गमलों सहित बेहद शानदार किस्म के कपास और रेशम की कालीन दरिया तैयार करने का हुनर सिखाया जाता है. जेल अधिकारियों की मानें तो कारागार के अंदर तरह-तरह के स्किल डेवलपमेंट कार्य किये जाते हैं. जिनका मकसद सजा काटने वाले कैदियों को मानसिक रूप से व्यस्त रखने के साथ ही उन्हें स्वरोजगार से जोड़ना है.
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एलईडी बनाने वाली फैक्ट्री का समान तैयार करेंगे कैदी: जेलर पवन कोठारी के मुताबिक जेल की कार्यशाला में तैयार होने वाले फर्नीचर की बाजार में खूब डिमांड है. जेलर कोठारी के मुताबिक उत्तराखंड की बड़ी एलईडी फैक्ट्री के संचालक राजवीर सिंह ने जेल में इलेक्ट्रिशियन का कार्य सीखने वाले कैदियों को एलईडी बनाने का निशुल्क प्रशिक्षण दिया है. साथ ही उनके द्वारा जॉब वर्क भी तैयार किया जा रहा है.
दीपावली के अवसर पर रोशनी करने वाली लड़ियों और झालर जैसे तमाम इलेक्ट्रिक आइटम इसी कंपनी द्वारा जेल कैदियों से तैयार कराये जाएंगे. जिसके बाद उन्हें बाजार में उतारा जाएगा. इससे न सिर्फ कारागार विभाग का राजस्व बढ़ेगा. बल्कि जेल में इस तरह का कारीगरी सीखने वाले कैदियों को भी सीखने को कुछ नया मिलेगा. यहां से काम सीखकर जब वे बाहर जाएंगे तो वे अपना काम शुरू कर परिवार पालन पोषण कर सकते हैं.