इन्वेस्टर्स समिट से पहले सिडकुल में भ्रष्टाचार की शिकायत. देहरादूनःउत्तराखंड में एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन्वेस्टर्स समिट को ऐतिहासिक बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. उधर राज्य की आर्थिकी को मजबूत करने और रोजगार के नए अवसरों को भी इस समिट में तलाशा जा रहा है. लेकिन तमाम बड़े उद्योगपतियों को भरोसा दिलाने के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने इन्वेस्टर्स समिट और सीएम धामी के प्रयासों को पलीता लगाने का काम किया है.
मामला उत्तराखंड राज्य अवसंरचना एवं औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड यानी सिडकुल का है. जिसकी जिम्मेदारी उद्योगों और उद्योगपतियों को संरक्षण देने और इनके विकास की है. लेकिन यहां ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आ रही हैं. खास बात यह है कि ऐसी शिकायतें आने के बाद आनन-फानन में लेखाकार और जनसंपर्क अधिकारी को सस्पेंड भी किया गया है.
निरीक्षण पर मिली भष्ट्राचार की शिकायतें: जानकारी के मुताबिक, दोनों अफसर मुख्यालय छोड़कर एक इंडस्ट्री में निरीक्षण के लिए निकले थे और इसी मामले को लेकर इनकी भ्रष्टाचार की शिकायतें की गई. उद्यमियों से सहयोग ना किए जाने के भी इन पर आरोप लगे हैं. बताया जा रहा है कि सिडकुल में भ्रष्टाचार और अनियमिताओं का यह पहला मामला नहीं है. यहां अक्सर ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं, जिनकी शिकायतें भी समय-समय पर होती रही है.
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पीआरओ को क्षेत्रीय प्रबंधक का पद क्यों? इस मामले के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. एक सवाल सामान्य चर्चाओं में यह भी है कि सिडकुल में जनसंपर्क अधिकारी के स्तर का व्यक्ति प्रभारी क्षेत्रीय प्रबंधक जैसे महत्वपूर्ण पद पर क्यों तैनात किया गया है. यह उक्त अधिकारी की बेहतर कार्य प्रणाली के कारण किया गया या फिर सिडकुल में अधिकारियों की कमी के कारण यह कहना मुश्किल है. हालांकि भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायत और उद्यमियों को सहयोग ना करने की बात के बाद उक्त अधिकारी कमल किशोर कफलटिया को निलंबित कर दिया गया है साथ ही लेखाकार सिडकुल परविंदर सिंह भी निलंबित हुए हैं.
कांग्रेस के सवालों पर भाजपा की सफाई: दूसरी तरफ कांग्रेस अब इस मामले को तूल दे रही है और सिडकुल में भ्रष्टाचार के इस मामले का जिक्र कर इन्वेस्टर्स समिट पर भी सवाल खड़े कर रही है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी सरकार के बचाव में बात रखी है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल कहते हैं कि भाजपा भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है और ऐसे आरोप लगने पर फौरन सरकार की तरफ से दो अधिकारियों को निलंबित किया गया है. यदि कोई भी गड़बड़ी पाई जाती है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने का भी काम किया जाएगा.