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सिडबी ने युवा शटलर लक्ष्य सेन को किया सम्मानित, सौंपा 5 लाख का चेक - लक्ष्य सेन को सम्मानित किया

सिडबी ने भारतीय पुरुष शटलर लक्ष्य सेन को सम्मानित किया है. ये सम्मान उन्हें दिसंबर 2021 में स्पेन में आयोजित बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने और जनवरी 2022 में दिल्ली में आयोजित प्रतिष्ठित इंडिया ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट जीतने के लिए दिया गया है.

Lakshya Sen
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Published : Feb 22, 2022, 7:51 PM IST

Updated : Feb 22, 2022, 9:07 PM IST

देहरादून:प्रमुख वित्तीय संस्थान भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने दिसंबर 2021 में स्पेन में आयोजित बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले और जनवरी 2022 में दिल्ली में आयोजित प्रतिष्ठित इंडिया ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय पुरुष शटलर लक्ष्य सेन को सम्मानित किया है.

प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी में आयोजित इस कार्यक्रम में लक्ष्य सेन को 5 लाख रुपए के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. सिडबी के शीर्ष कार्यपालक एस रमण, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक वीएसवी राव भी इस कार्यक्रम में आभासी माध्यम से शामिल हुए. इसके साथ ही पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियन पद्मश्री प्रकाश पादुकोण, प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी (पीपीबीए) के मुख्य कोच विमल कुमार भी कार्यक्रम में उपस्थित थे.

सिडबी ने युवा शटलर लक्ष्य सेन को किया सम्मानित

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इस मौके पर एस रमण ने कहा कि 'सिडबी खेल के साथ-साथ व्यवसाय में व्यक्तिगत उत्कृष्टता का समर्थन करने में दृढ़ता से विश्वास करता है, जिससे उद्यमिता की भावना पैदा होती है, जो हमारे देश के विकास और विकास के लिए महत्वपूर्ण है. सिडबी की स्वावलंबन पहल का उद्देश्य आत्मनिर्भरता और आय सृजन के लिए कौशल पैदा करना है.

पादुकोण ने अपने संबोधन में सिडबी की पहल का स्वागत किया और कहा कि सिडबी जमीनी एमएसएमई को पोषित करने के लिए अच्छी तरह से प्रतिष्ठित है और आशा व्यक्त की कि सिडबी जैसे कॉर्पोरेट खेल पारिस्थितिकी तंत्र में मदद करने वाले खिलाड़ियों को एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों जैसे आगामी खेल आयोजनों में हमारे देश को और अधिक सम्मान दिलाने में मदद करेंगे.

अल्मोड़ा से हैं लक्ष्य सेन: बता दें लक्ष्य को बैडमिंटन विरासत में मिला है. वह उत्तराखंड के अल्मोड़ा से आते हैं और उनके दादाजी वहां बैडमिंटन खेला करते थे. उनके पिता डीके सेन भी बैडमिंटन कोच हैं, लेकिन लक्ष्य के खेल की ललक जगी अपने भाई चिराग को देखकर. चिराग 13 साल की उम्र में नेशनल रैंकर बन गए थे. घर में बैडमिंटन का माहौल था और फिर बड़े भाई को देखकर लक्ष्य ने भी इस खेल में रुचि दिखाई. उनके दादाजी जब खेलने जाते तो वह लक्ष्य को अपने साथ ले जाते और फिर पिता ने उनको इस खेल का बारीकियां सिखानी शुरू कर दीं.

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स्पेन के हुएलवा में खेली गई अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता (international badminton competition) में भारत के लक्ष्य सेन ने कांस्य पदक जीता (Lakshya Sen won bronze medal) था.

Last Updated : Feb 22, 2022, 9:07 PM IST

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