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प्रदेश के 7 लाख बच्चों को नहीं मिलेगा दूध, वित्त विभाग ने खड़े किए हाथ

मिड-डे मील योजना के तहत बच्चों को सप्ताह में एक दिन दूध दिए जाने का प्रस्ताव सरकार ने पारित किया था. इस पर हर साल 13 करोड़ रुपये खर्च आ रहा था. प्रस्ताव को वित्त विभाग को मंजूरी के लिए भेजा गया, लेकिन विभाग ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि राज्य सरकार के पास इतना बजट नहीं है.

7 लाख बच्चों के दूध पर लग गया पलीता.

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Published : Oct 2, 2019, 9:34 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 9:46 PM IST

देहरादून: प्रदेश सरकार ने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अतिरिक्त पोषण देने के लिए मिड डे मील योजना के तहत सप्ताह के एक दिन दूध देने की बात कही थी. इस योजना से लगभग 7 लाख बच्चों को लाभ मिलने वाला था. लेकिन, अब ये योजना शुरू होने से पहले ही खत्म होती दिखाई दे रही है. क्योंकि इस योजना में आने वाले खर्च पर वित्त विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं.

7 लाख बच्चों के दूध पर लग गया पलीता.

राज्य सरकार ने निर्णय लिया था कि आंचल डेयरी से करार कर प्रदेश के एक से आठवीं तक के सभी बच्चों को दूध मुहैया कराया जाएगा. हालांकि, इस योजना को लेकर शिक्षा सचिव और शिक्षा विभाग ने कई बैठक कर प्रस्ताव तैयार किया. उस प्रस्ताव को जब वित्त विभाग को भेजा गया तो वित्त विभाग ने राज्य सरकार के पास बजट नहीं है, कहकर प्रस्ताव को वापस भेज दिया. शिक्षा विभाग ने बनाये गए इस योजना के प्रस्ताव में करीब 13 करोड़ रुपए का सालाना खर्च आना बताया था.

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वर्तमान समय मे प्रदेश के करीब 7 लाख बच्चों को मिड डे मील योजना के तहत सप्ताह के एक दिन केला, अंडा और गुड़ दिया जा रहा है. प्रदेश भर में करीब 14 हजार अधिक स्कूल हैं, जिसमें पहली से आठवीं कक्षा में करीब 7 लाख बच्चे पढ़ रहे है.

Last Updated : Oct 2, 2019, 9:46 PM IST

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