शिमला/देहरादून: उत्तराखंड में भू-कानून की मांग जोरों पर है. उत्तराखंड के लोग सोशल मीडिया के माध्यम से पुरजोर भू-कानून की पुरजोर मांग कर रहे हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में रहने वाले उत्तराखंड प्रवासियों ने भी भू-कानून को लेकर आवाज बुलंद की है. शिमला गढ़वाल सभा ने अपनी मासिक बैठक के दौरान उत्तराखंड में भू-कानून लागू करने पर चर्चा हुई. बैठक में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी कानून लागू करने की बात पर जोर दिया गया.
गढ़वाल सभा शिमला के पदाधिकारी सुशील उनियाल ने कहा कि भू-कानून का सीधा सरोकार आम आदमी से है. हिमाचल प्रदेश की तरह उत्तराखंड की जमीन पर पहला हक उत्तराखंड वासियों का होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड भी पहाड़ी राज्य है. यहां के लोगों की अस्मिता और सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है कि उत्तराखंड में भू-कानून लागू किया जाए.
शिमला गढ़वाल सभा की बैठक (Shimla Garhwal Sabha meeting) में सुशील उनियाल (Sushil Uniyal) ने कहा कि साल 2000 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड की कुल 8 लाख 31 हजार 227 हेक्टेयर भूमि है, जो 8 लाख 55 हजार 980 परिवारों के नाम दर्ज थी. इनमें 5 एकड़ से 10 एकड़, 10 एकड़ से 25 एकड़ और 25 एकड़ से ऊपर की तीनों श्रेणियों की जोतों की संख्या 1 लाख 8 हजार 863 थी. इन 1 लाख 8 हजार 863 परिवारों के नाम 4 लाख 2 हजार 022 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है.