शिलगुर देवता नवनिर्मित मंदिर में हुए विराजमान विकासनगर: जौनसार खत शीलगांव के देऊ गांव स्थित मंदिर से शिलगुर देवता की डोली ने शाही स्नान के लिए हिमाचल प्रदेश के चूड़धार मंदिर के लिए प्रस्थान किया. 29 जून को शाही स्नान कर देवता देऊ गांव में नवनिर्मित मंदिर में विधि विधान से विराजे. इस दौरान आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.
देऊ गांव के नवनिर्मित मंदिर में स्थापित हुए शिलगुर देवता स्नान करके लौटे शिलगुर महाराज: जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर अपनी परंपराओं और धार्मिक आस्था को लेकर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. इसी कड़ी में जौनसार के खत शीलगांव के देऊ गांव से शिलगुर महाराज की डोली शाही स्नान के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ हिमाचल प्रदेश में स्थित चूड़धार मंदिर में स्नान कर पैदल यात्रा कर लौटी. 26 जून को देवता की डोली और देव चिन्हों सहित श्रद्धालुओं ने चूड़धार से देऊ गांव के लिए प्रस्थान किया.
शिलगुर महाराज के शाही स्नान में उमड़ा जन सैलाब: पहला पड़ाव रात्रि विश्राम मिनस में किया गया. 27 जून को मिनस से क्वानू गांव के लिए प्रस्थान किया गया. यहां रात्रि विश्राम के बाद 28 जून को देवता क्वानू से पंजिटीलानी पहुंचे. 29 को पंजिटीलानी से देऊ गांव स्थित शिलगुर देवता मंदिर के लिए प्रस्थान किया. इस पैदल यात्रा में देव डोली के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा.
शिलगुर देवता के स्थापना पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ नव निर्मित मंदिर में विराजमान हुए शिलगुर देवता: देऊ गांव में नवनिर्मित मंदिर पर पहुंचने पर सभी श्रद्धालुओं द्वारा भोले के जयकारे लगाए गए. भोले की जयकारों से आसपास का वातावरण गुंजायमान हो उठा. देव डोली को गांव की महिलाओं द्वारा धूप, दीप, नवेद, पुष्प अर्पित कर दर्शन किए गए. इसके साथ ही देव डोली, देव चिन्ह सहित नवनिर्मित मंदिर में शुभ लग्न अनुसार गर्भगृह में विधि पूर्वक पूजा अर्चना कर देवता को विराजमान किया. इसके पश्चात महिलाओं द्वारा पारंपरिक वेशभूषा में देव स्तुति वह लोक नृत्य भी किया गया. देऊ गांव की महिलाओं द्वारा शिलगुर देवता की पालकी के लिए सोने का छात्र भी भेंट कर क्षेत्र तथा प्रदेश की खुशहाली की कामना की गई.
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महिलाओं ने शिलगुर देवता को भेंट किया सोने का छत्र: देवता के वजीर शमशेर सिंह चौहान ने बताया कि मंदिर निर्माण वर्ष 2019 में आरंभ किया गया था. 2023 में मंदिर का पूर्ण निर्माण हुआ. जिसके बाद देवता को नवनिर्मित मंदिर में शाही स्नान कर पारंपरिक मंत्रोच्चारण के उपरांत पूजा अर्चना के साथ ही विराजमान क्या गया. क्षेत्र पंचायत सदस्य कांति राणा ने कहा कि बारह वर्षों बाद शिलगुर देवता का जागड़ा पर्व मनाया गया. गांव की महिलाओं द्वारा देवता की डोली को सोने का छत्र भी अर्पित किया गया. काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने देवदर्शन किया और सुख-समृद्धि की कामना की.