देहरादून:द्रोणनगरी के रहने वाले बाइकर शार्दुल शर्मा पहली बार रोमानिया जाकर भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं. वैसे भारत में मोटर स्पोर्ट्स का इतिहास छह दशक पुराना है, लेकिन पिछले कुछ सालों में ही इसके प्रति युवाओं का रुझान बहुत तेजी से बढ़ा है. ऐसे में देहरादून के रहने वाले शार्दुल शर्मा दुनिया की सबसे कठिन एंड्यूरो रैली 'द रेड बुल रोमानियाक्स' (enduro rally Red bull Romaniacs) प्रतिस्पर्धा में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं.
बता दें कि रेड बुल रोमानियाक्स दुनिया की सबसे कठिन प्रतिस्पर्धा में शामिल है, लेकिन देहरादून के रहने वाले शार्दुल शर्मा पहली बार इस प्रतियोगिता में शामिल होने जा रहे हैं. रोमानिया में 24 जुलाई को आयोजित होने जा रही इस प्रतिस्पर्धा में शार्दुल शर्मा ऐसे पहले शख्स होंगे, जो वहां जाकर भारत का परचम लहराएंगे. बकौल शार्दुल शर्मा यह कंपटीशन उन्होंने बड़ी मेहनत से हासिल किया है और इसके लिए उन्होंने विगत 10 सालों से लगातार संघर्ष किया है.
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उन्होंने बताया कि प्रतिस्पर्धा में शामिल होने से पहले उन्होंने खेल मंत्री से भी दो बार मिलने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए. फिर भी उन्हें पूरा विश्वास है कि वह इस प्रतिस्पर्धा में भारत का नाम रोशन करेंगे.
रेड बुल रोमानियाक्स को दुनिया की सबसे कठिन प्रतिस्पर्धा के रूप में जाना जाता है और इसमें पहली बार हिस्सा ले रहे एक भारतीय प्रतिभागी शार्दुल शर्मा भी हैं. उन्होंने विश्वास जताया है कि रोमानिया में आयोजित होने जा रही इस प्रतियोगिता में करीब साढ़े 400 किलोमीटर की इस यात्रा में वह निश्चित रूप से भारत का नाम रोशन करेंगे.
इस प्रतियोगिता के कुछ रोचक पहलू:इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रतिभागी केवल 10% ही होते हैं. इस वर्ष वहां करीब 60 से अधिक देशों के प्रतिभागी प्रतियोगिता में शामिल हो रहे हैं. इस कठिन प्रतिस्पर्धा में ट्रैक पर 4 टीमों की ऑफ रोड रेसिंग होगी. इसमें पहाड़ियों, घाटियों और चट्टानों के ऊपर खैबर इलाकों से 50 डिग्री से अधिक की ढलान के साथ ट्रैक शामिल हैं.
कौन हैं शार्दुल शर्मा:देहरादून के रहने वाले शार्दुल शर्मा मोटर स्पोर्ट्स में रुचि रखते हैं. उन्होंने इस मुकाम को हासिल करने के लिए इतना दृढ़ निश्चय किया था कि उन्होंने विगत 10 सालों में भारत के तमाम दुर्गम इलाकों में मोटर स्पोर्ट्स में अपना नाम रोशन किया. वहीं, रोमानिया की इस प्रतिस्पर्धा में शामिल होने के लिए उन्होंने अपना बैग पैक किया और 2.5 साल के लिए बेंगलुरु की ओर रवाना हो गए. इस दौरान उन्होंने सबसे कठिन प्रतिस्पर्धा में शामिल होने के लिए परिश्रम किया और कन्नड़ बोलना सीखा. इसके साथ ही उन्होंने भारत के कई मौजूदा ऑफ रोड मोटरसाइकिल सवारों को भी प्रशिक्षित किया.