हरिद्वार:कोरोना की दूसरी लहर का कहर देशभर में बढ़ रहा है. कोरोना के कारण लोग काल के गाल में समा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर जो कही अपने घरों से दूर हैं वे भी अपने घरों की ओर वापस लौट रहे हैं. कोरोना के कारण लगाई गई पाबंदियों ने भी कई घरों के चूल्हे की आग को ठंडा कर दिया है. जिससे अब लोग परेशान होने लगे हैं. ऐसी ही एक कहानी मंगलौर के एक सुदूर गांव में रहने वाले शमशाद की भी है.
दरअसल, शमशाद पिछले 40 सालों से ऋषिकेश में घोड़ा-बग्घी का काम करते आ रहे हैं. बीते एक साल से कोरोन के कारण उनके काम पर बहुत बुरा असर पड़ा है. अब तक नौबत ऐसी नहीं आई थी कि वे यहां से पलायन कर जाए. मगर इस बार प्रदेश में कोरोना इतना बेकाबू हो गया है कि इसे रोकने में प्रदेश सरकार भी नाकाम नजर आ रही है. बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए सरकार ने तमाम तरह की पाबंदियां, गाइडलाइन जारी की हैं. शादी-समारोह को लेकर भी राज्य सरकार ने विशेष आदेश जारी किये हैं. जिसमें 20 लोगों की मौजूदगी के साथ ही अन्य बातों को तामिल करने की बात कही गई है.
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जानवरों से साथ किया पलायन
शादी-समारोहों पर लगी पाबंदियों का सीधा असर शमशाद जैसे छोटे-मोटे काम करने वालों पर पड़ा है. जो पहले बड़ी मुश्किल से इस हालात से उबरे थे, वे अब एक बार फिर उसी मुहाने पर खड़े हो गये हैं. नौबत यहां तक आ गई है कि 40 साल से घोड़ा-बग्घी का काम करने वाले शमशाद अब अपने जानवरों के साथ ही पलायन कर रहे हैं.
शमशाद के पास हैं लाखों के जानवर
शमशाद के पास 6 जानवर हैं, जिसमें तीन घोड़ियां हैं. शमशाद बताते हैं कि उन्होंने अभी कुछ दिन पहले ही ₹30000 का घोड़ा खरीदा था. घोड़ा बाजार में सस्ता मिल जाता है और घोड़ियां महंगी. लिहाजा एक घोड़ी ₹70000 की खरीदी थी. उनको उम्मीद थी कि इस बार का सीजन थोड़ा अच्छा जाएगा. लिहाजा घोड़ों को खिला पिला कर उन्होंने शादी ब्याह के लिए तैयार किया था. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद खाने के लाले पड़ गए. ₹300 डेली का एक जानवर चारा खाता है. शमशाद कहते हैं कि अब वह अपने जानवरों को लेकर गांव वापस जा रहे हैं. ताकि इनको बेचकर कर कोई और काम वो कर सकें.
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कर्जा उतारने के लिए जानवरों को बेचना होगा- शमशाद