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वीर मेजर विभूति और चित्रेश के नाम से बनेगा शहीद द्वार, देहरादून नगर निगम की पहल - विभूति शंकर ढौंडियाल

उत्तराखंड देवभूमि के साथ वीरों की भूमि है. यहां के जवानों ने देश की हिफाजत के खातिर अपने प्राणों की आहुति दी है. जिनमें मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट भी शामिल हैं. अब शौर्य चक्र विजेता शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट के नाम से देहरादून में शहीद द्वार बनाया जाएगा.

vibhuti dhoundiyal and chitresh bisht
विभूति ढौंडियाल और चित्रेश बिष्ट

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Published : Nov 24, 2021, 7:04 PM IST

Updated : Nov 24, 2021, 7:27 PM IST

देहरादून: शौर्य चक्र विजेता शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल (vibhuti shankar dhoundiyal) की स्मृति में राजधानी देहरादून में शहीद द्वार (martyr gate) बनाया जाएगा. देहरादून नगर निगम की पहल पर शहर में राजपुर रोड के पास नैशविला रोड पर शहीद मेजर ढौंडियाल शहीद द्वार बनाने जा रहा है. इसके साथ ही उनके परिवार की इच्छा के अनुसार डोभालवाला स्थित चौराहे का नाम भी शहीद विभूति के नाम रखा जाएगा.

इसके अलावा नेहरू कॉलोनी स्थित शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट (major chitresh bisht) के घर के पास बने पार्क में उनकी प्रतिमा लगाई जाएगी और हिम पैलेस से लगी सड़क पर चित्रेश बिष्ट के नाम पर शहीद द्वार बनेगा. दून मेयर सुनील उनियाल गामा ने अधिकारियों को जल्द से जल्द ये कार्य पूरे करने के निर्देश दिए हैं.

वीर मेजर विभूति और चित्रेश के नाम से बनेगा शहीद द्वार

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बता दें कि नगर निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव काफी समय पहले ही पास हो गया था लेकिन ये काम अबतक शुरू भी नहीं हो सका है. अब मेयर सुनील उनियाल गामा ने दोनों शहीदों से जुड़े प्रस्तावों के लिए 8-8 लाख रुपए के बजट को स्वीकृति दी है. मेयर ने लोक निर्माण विभाग को तुरंत काम शुरू करने के निर्देश दिए हैं.

मेयर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि, जो भी उत्तराखंड के जवान और अधिकारी शहीद हुए थे, ऐसे शहीदों के नाम पर द्वार बनेंगे, जिन्हें नगर निगम अपने स्तर पर बनाएगा. शहीदों के परिवारों की अनुमति लेने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया था, उनकी सहमति के अनुसार ही शहीद द्वार और मूर्ति लगाने का काम हो रहा है.

मेजर विभूति ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्रः जम्मू-कश्मीर के पुलवामा (Pulwama Attack) में शहीद हुए मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को मरणोपरांत शौर्य चक्र (Shaurya Chakra, Posthumous) से सम्मानित किया. बीती 22 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में आयोजित समारोह में शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की मां सरोज ढौंडियाल और पत्नी लेफ्टिनेंट नितिका कौल ढौंडियाल को ये शौर्य चक्र दिया. नितिका ढौंडियाल ने भी पति की शहादत के बाद आर्मी ज्वाइन की है.

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बता दें कि 18 फरवरी 2019 को मेजर ढौंडियाल (vibhuti dhoundiyal) जम्‍मू कश्‍मीर के पुलवामा में हुए एक एनकाउंटर में वीरगति को प्राप्‍त हुए थे. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था, इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले के बाद ही पुलवामा के पिंगलान गांव में आतंकियों को ढेर करने के लिए सेना ने एक ऑपरेशन चलाया था. पिंगलान में हुए इस एनकाउंटर में चार सैनिक शहीद हुए थे. इन शहीदों में मेजर रैंक के ऑफिसर विभूति शंकर ढौंडियाल भी थे. 34 वर्षीय मेजर विभूति ढौंडियाल सेना के 55 आरआर (राष्ट्रीय राइफल) में तैनात थे.

आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए मेजर चित्रेश बिष्टःसाल 2019 में हुए पुलवामा अटैक के ठीक 2 दिन बाद 16 फरवरी को राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में आईईडी बम डिफ्यूज करने के दौरान मेजर चित्रेश बिष्टशाहिद हो गए थे. अल्मोड़ा के पिपली गांव के रहने वाले मेजर चित्रेश बिष्ट (chitresh bisht) का परिवार पिछले कई वर्षों से देहरादून की ओल्ड नेहरू कॉलोनी में रहा रहा है. चित्रेश के पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं.

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घर में शादी की तैयारी, लेकिन तिरंगे में लिपटे पहुंचे चित्रेशःमेजर चित्रेश की 7 मार्च को शादी होनी थी, लेकिन 16 फरवरी को ही चित्रेश बिष्ट देश के लिए शहीद हो गए. शहादत की खबर उनके पिता को तब मिली, जब वो अपने पैतृक गांव रानीखेत के पीपली में बेटे की शादी का कार्ड बांटने गए थे. उत्साह के साथ लोगों को अपनी खुशी में शामिल होना का आमंत्रण देने गए पिता को क्या पता था कि उनके घर में बहू का गृह प्रवेश नहीं बल्कि घर से बेटे की विदाई होगी. मेजर चित्रेश इंजीनियरिंग कोर में तैनात थे.

Last Updated : Nov 24, 2021, 7:27 PM IST

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