उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

उत्तराखंड से गुजरात भेजे जाएंगे आदमखोर गुलदार, 20 साल में ले ली सैकड़ों की जान - Leopard news uttarakhand

उत्तराखंड में गुलदार का मानव से संघर्ष चरम पर है. आंकड़े इतने डरावने हैं कि पिछले 20 साल में गुलदार 456 लोगों को निवाला बना चुके हैं. इससे भी भयावह बात ये है कि इन 20 सालों में 1,449 गुलदारों की भी विभिन्न कारणों से मौत हुई है. अब उत्तराखंड से 7 आदमखोर गुलदारों को गुजरात शिफ्ट करने की तैयारी है.

Leopard news uttarakhand
Leopard news uttarakhand

By

Published : Jun 24, 2021, 1:48 PM IST

Updated : Jun 24, 2021, 3:08 PM IST

देहरादून:देश के कई राज्यों में गुलदारों का आतंक इंसानों के लिए खतरा बन गया है. उत्तराखंड भी इन्हीं राज्यों में शुमार है. कम क्षेत्रफल में गुलदारों की बढ़ी संख्या ने इनके खतरे को लोगों के लिए और भी बढ़ा दिया है. इसी का नतीजा है कि पिछले 2 दशक में 400 से ज्यादा लोग गुलदार का निवाला बन चुके हैं. उधर,अब वन महकमा गुलदारों पर अध्ययन करने से लेकर उन्हें दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने की जुगत में लग गया है.

गुलदार एक ऐसा वन्य जीव है, जो हर मौसम और परिवेश में खुद को ढाल लेता है. पिछले कुछ समय में गुलदारों के प्राकृतिक स्वभाव में कुछ बदलाव देखने को मिला है. गुलदार का रुझान आबादी वाले इलाकों के पास ज्यादा दिखाई देता है. हालांकि, इसके अपने कई कारण हैं. गुलदारों को मिली ये नई परिस्थितियां इंसानों और गुलदारों के बीच संघर्ष को बढ़ा रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि इस संघर्ष में सैकड़ों लोगों के साथ ही गुलदार भी अपनी जान गंवा रहे हैं.

गुजरात भेजे जाएंगे आदमखोर गुलदार.

उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में गुलदारों की मौजूदगी दिखाई देती है. खास तौर पर बस्तियों के पास इनका आसान शिकार के लिए पहुंचना, अब खतरे को तेजी से बढ़ा रहा है.

आंकड़ों पर एक नजर.

सरकारी आंकड़ों से इस खतरे को समझिए

ऐसा नहीं कि प्रदेश में इस संघर्ष के दौरान गुलदारों को नुकसान न पहुंचा हो. पिछले दो दशक में 1,449 गुलदारों की भी विभिन्न कारणों से मौत हुई है.

पिछले 20 साल में गुलदार की मौत.

गुलदार को आसान शिकार पसंद

प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी बताते हैं कि जंगलों में पर्याप्त भोजन नहीं मिलने कारण अब गुलदार बस्तियों की तरफ बढ़ रहे हैं. साथ ही इंसानों का जंगलों के करीब जाना और इंसानी बस्तियों में आसान शिकार भी, उन्हें यहां आकर्षित कर रहा है.

पढ़ें- 189 चयनित अटल उत्कृष्ट विद्यालयों का शिक्षा मंत्री 1 जुलाई से करेंगे शुभारंभ

7 गुलदार गुजरात भेजने की तैयारी

प्रदेश में समय-समय पर मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए कई उपाय और अभियान चलाए गए हैं. इसी के तहत राज्य से 7 गुलदार गुजरात भेजने की भी तैयारी की जा रही है. दरअसल, समस्या यह है कि प्रदेश में सेंट्रल जू अथॉरिटी (Central Zoo Authority of India) से अधिकृत दो रेस्क्यू सेंटर मौजूद हैं. इनमें पहला हरिद्वार में चिड़ियापुर में स्थित है. दूसरा नैनीताल में रानीबाग में है.

सरकार से मिलनी है मंजूरी

चिड़ियापुर में 8 गुलदार रखे गए हैं और रानीबाग में 3 गुलदार मौजूद हैं. खास बात यह है कि इन दोनों ही रेस्क्यू सेंटर में गुलदार को रखने की इतनी ही क्षमता है. ऐसे में चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग ने प्रस्ताव भेजकर सेंट्रल जू अथॉरिटी से 7 गुलदार गुजरात के जामनगर स्थित रेस्क्यू सेंटर में भेजने की मंजूरी ली है. हालांकि अभी शासन स्तर पर इसकी फाइल पेंडिंग है. सरकार से इसकी मंजूरी ली जानी बाकी है.

गुलदारों का रखरखाव काफी महंगा

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन कहते हैं कि राज्य में अपनी क्षमता के हिसाब से दोनों रेस्क्यू सेंटर फुल हैं. ऐसे में अगर भविष्य में किसी घायल या इंसानों के लिए खतरा बन चुके गुलदार को रेस्क्यू सेंटर लाना हो, तो दिक्कतें हो सकती हैं. ऐसे में कुछ गुलदार दूसरे राज्य में शिफ्ट करने की योजना है. बता दें, चिड़ियापुर में मौजूद गुलदारों के रखरखाव पर ही सालाना करीब 22 लाख तक राज्य सरकार का खर्च हो रहा है. ₹5 लाख से ₹10 लाख रानीबाग में भी खर्च हो रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड पुलिस का दिखा अलग अवतार, बुजुर्ग के चेहरे पर आई मुस्कान

वन विभाग पहली बार कर रहा गुलदारों पर स्टडी

उत्तराखंड में गुलदार के इंसानी बस्तियों में शिकार के खतरे को देखते हुए वन विभाग पहली बार गुलदारों पर स्टडी कर रहा है. इसके तहत राज्य में 7 गुलदारों को रेडियो कॉलर लगा कर जंगलों में छोड़ा गया है, ताकि इनके व्यवहार और स्वभाव को समझा जा सके. इस अध्ययन में खुलासा हुआ है कि गुलदार 1 दिन में करीब 30 किलोमीटर तक विचरण कर रहा है. यहां तक कि कुछ नदियों में तैर कर भी गुलदार दूसरे क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं. इसमें खास बात यह है कि गुलदार इंसानी बस्तियों के आसपास ही ज्यादा रहना पसंद कर रहे हैं.

गुलदारों की बढ़ती संख्या बनी परेशानी

उत्तराखंड में भूभाग के लिहाज से गुलदारों की संख्या काफी ज्यादा है. साल 2003 में गुलदार की संख्या 2,092 आंकी गई, तो 2005 में 2,105 गिनी गयी. इसके बाद 2008 में 2,335 गुलदार चिह्नित किए गए. पिछले करीब 12 सालों से गुलदारों की गिनती राज्य स्तर पर नहीं हो पाई है. ऐसे में माना जा रहा है कि उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या 2,800 तक हो सकती है.

वैसे विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि प्रदेश में गुलदार की निश्चित संख्या का आकलन करना काफी मुश्किल है, क्योंकि गुलदार वन क्षेत्रों से लेकर इंसानी बस्तियों तक सभी जगह फैल गए हैं. ऐसे में सभी जगह इन्हें ट्रैप कर इनकी सही संख्या का पता करना काफी मुश्किल है.

Last Updated : Jun 24, 2021, 3:08 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details