देहरादून:ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक का पद पिछले कुछ समय से लगातार चर्चाओं और विवादों में रहा है. वैसे तो प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए तय प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया था. लेकिन अब चर्चा है कि गुपचुप रूप से किसी विवादित अधिकारी को निगम में प्रबंध निदेशक बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई है. इस बीच ऊर्जा निगम के इंजीनियर संघ ने इस नियुक्ति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
ऊर्जा निगमों में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की चर्चाएं अक्सर सुर्खियां बनती रहती हैं. लेकिन इन सबके बीच इन दिनों चर्चा प्रबंध निदेशक के पद को लेकर है. इस पद पर फिलहाल आईएएस दीपक रावत को तैनाती दी गई है. लेकिन चर्चा है कि जल्द ही इस पर एक नए चेहरे को लाने की तैयारी हो रही है. लेकिन ऊर्जा निगम में इस बार नियमों को तोड़-मरोड़ कर प्रभारी प्रबंध निदेशक यानी एमडी की तैनाती होने जा रही है.
इसके मद्देनजर बकायदा ऊर्जा निगम के इंजीनियर संगठन ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर इस बात की आशंका जताई है. इस पद पर किसी विवादित अधिकारी को लाने की चर्चाएं हैं, जबकि प्रबंध निदेशक के तौर पर स्थाई नियुक्ति के लिए बकायदा नियमावली बनाई गई है. इस नियमावली के तहत इस विवादित अधिकारी को प्रबंध निदेशक बनाया ही नहीं जा सकता है.
क्या कहती है ऊर्जा निगम की नियमावली:पूर्व में ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक के तौर पर किसी भी निदेशक को तैनाती दी जा सकती थी. इसके लिए कोई खास पैरामीटर तय नहीं किए गए थे. लेकिन ऊर्जा निगम की जरूरतों को देखते हुए इस पर कैबिनेट द्वारा पारित प्रबंध निदेशक अर्हता नियमावली अस्तित्व में लाई गई, जिसके तहत तकनीकी क्षेत्र में स्नातक करने वाले अधिकारी को ही प्रबंध निदेशक बनाया जा सकता है. यानी कोई इंजीनियर ही इस पद पर आसीन हो सकता है.
बता दें कि, प्रदेश में ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक की नियुक्ति के लिए पूर्व में शासन द्वारा विज्ञापन भी जारी किया जा चुका है. इसके सापेक्ष विभिन्न अभ्यर्थियों के आवेदन भी प्राप्त हो चुके हैं. जिस पर फिलहाल अभ्यर्थियों के इंटरव्यू होने बाकी हैं. लेकिन इस प्रक्रिया के होने के बावजूद भी अब चर्चा यह है कि किसी विवादित अधिकारी को प्रभारी प्रबंध निदेशक बनाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि नियमावली होने के चलते प्रभारी प्रबंध निदेशक की व्यवस्था की जा रही है ताकि इन नियमों को बाईपास किया जा सकें.