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क्या है देवभूमि में मौजूद गर्म कुंडों का राज, जानिए - उत्तराखंड तप्त कुंड न्यूज

इन दिनों प्रदेश में ठंड का कहर है. इतनी कंपकंपाती ठंड में चमोली जिले में खौलते पानी का कुंड कौतूहल का विषय बना हुआ है. इस कुंड और इस तरह के अन्य कुंडों को लेकर ईटीवी भारत ने वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक से बातचीत की.

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क्या है देवभूमि में मौजूद गर्म कुंडों का राज

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Published : Jan 6, 2020, 8:43 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 2:06 PM IST

देहरादून: यूं तो इन दिनों पूरा हिमालय ही कड़ाके की ठंड का प्रकोप झेल रहा है. राज्य के कई उच्च हिमालयी क्षेत्रों में लगातार हो रही बर्फबारी के कारण झरने, नाले और पोखर तक जम गए हैं. इसी बर्फबारी के बीच चमोली में कुदरत के करिश्में के कई शानदार नजारे देखने को मिल रहे हैं जो कि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इन्ही में एक है जमा हुआ झरना, ये पहाड़ से बहता झरना पूरा का पूरा जमा हुआ है. इसके अलावा इतनी कंपकंपाती ठंड में खौलते पानी का कुंड भी कौतूहल का विषय बना हुआ है. आखिर क्या है इस तरह के कुंडों का रहस्य, आइये आपको बताते हैं...

देवभूमि में मौजूद गर्म कुंडों का राज

इस समय चमोली जिला पूरी तरह से शीतलहर की चपेट में है. हर तरफ से बर्फ, जगह-जगह नाले और पानी जमने की तस्वीरें सामने आ रही हैं. इन सबके बीच जमीन में खौलते गर्म पानी का स्रोत इन दिनों यहां के लोगों और पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. जोशीमठ में मौजूद इस गर्म पानी के स्रोत को कुदरत का करिश्मा कहें तो कुछ गलत नहीं होगा.

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वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालयी क्षेत्रों में 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर खौलते पानी का स्रोत आसानी से देखा जा सकता है. यही नहीं उत्तराखंड के चारों धामों में भी खौलते पानी के कुंड मौजूद हैं. जहां लोग श्रद्धा के अनुसार स्नान करते हैं.

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कहां से आता है खौलता पानी

वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. समीर तिवारी ने बताया कि तप्त कुंड को साइंस की भाषा में भूगर्भीय तापीय जल कहते हैं. यह जल धरती से ही गर्म होकर बाहर निकलता है. उन्होंने बताया कि जब बारिश का पानी, ग्लेशियर का मेल्ट जमीन में पड़ी दरारों के माध्यम से एक निश्चित गहराई तक जाता है तो इसके बाद ये जल धरती की आंतरिक ऊष्मा से गर्म होकर बाहर निकलता है. इस जल में बहुत सारे मिनरल्स भी मिले होते हैं.

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उत्तराखंड में 40 भू-गर्भीय तप्त कुंड हैं

उत्तराखंड राज्य में तप्त कुंड सिर्फ चारों धामों में ही नहीं बल्कि तमाम क्षेत्रों में भी मौजूद हैं. वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. समीर तिवारी ने बताया कि उत्तराखंड में करीब 40 भू-गर्भीय तप्त कुंड मौजूद हैं. जिसमें से करीब 20 तप्त कुंड कुमाऊं क्षेत्र और करीब 20 तप्त कुंड गढ़वाल क्षेत्र में हैं. इसके साथ ही ये तप्त कुंड पूरे उत्तराखंड में 3000 मीटर की ऊंचाई पर फैले हुए हैं. उन्होंने बताया इस तरह के तप्त कुंड हिमालय, लद्दाख और नॉर्थ ईस्ट में भी पाए जाते हैं. हालांकि पूरे हिमालय में करीब 350 भू-गर्भीय तप्त कुंड हैं.

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भू-गर्भीय जल में होते हैं कई हानिकारक मिनिरल्स

डॉ. समीर तिवारी ने बताया कि जब पानी धरती की आंतरिक ऊर्जा से गर्म होता है तो उसमें बहुत सारे मिनरल्स मिल जाते हैं. यही वजह है कि जल में मिले मिनिरल्स एक साथ गर्म होकर जमीन के दरारों से बाहर निकलने लगते हैं. यह प्रक्रिया लगातार जारी रहती है. डॉ. समीर तिवारी बताते हैं यह गर्म पानी पीना बहुत ही हानिकारक होता है. इस भू-गर्भीय तापीय जल में नॉर्मल वॉटर से कई गुना अधिक मिनिरल्स पाए जाते हैं. इस गर्म पानी में सल्फर, आर्सेनिक और लेड समेत कई मिनिरल्स मिले होते हैं. इसके साथ ही इसमें कई अन्य हानिकारक मिनिरल्स भी पाए जाते हैं.

Last Updated : Jan 7, 2020, 2:06 PM IST

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