देहरादून: SDRF कोविड से जारी जंग के बीच रोज नए अध्याय जोड़ रही है. इसी के तहत अब SDRF पर्वतीय जनपदों में अपने पोस्ट के पास की अति प्रभावित किसी एक बड़े गांव को कोविड से सुरक्षा हेतु गोद लेगी. उत्तराखंड पुलिस के मिशन हौसला के तहत इस अभियान को SDRF का सुरक्षा कवच कहा जा रहा है.
पुलिस उपमहानिरीक्षक रिद्धिम अग्रवाल और नवनीत भुल्लर सेनानायक SDRF के नेतृत्व में इस अभियान को वर्चुअली हरी झंडी दी है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पर्वतीय जनपदों के वे गांव जो जनसंख्या और क्षेत्रफल के साथ ही कोविड से भी प्रभावित हैं, उन्हें सहायता प्रदान करेगी.
इन गांवों को लेगी गोद
- पिथौरागढ़ में खोलिया गांव, दौला गांव.
- बागेश्वर में ऐठाण गांव
- अल्मोड़ा में बलटा और माठ गांव.
- चंपावत में ज्ञान खेड़ा गांव
- रुद्रप्रयाग में रामपुर और कलना गांव
- पौड़ी गढ़वाल में गोदी दुगड्डा, सिरों, स्वीत और डूंगरी पंत गांव.
- टिहरी गढ़वाल में कुटठा गांव.
- उत्तरकाशी में ग्राम गणेशपुर, नेताला, क्यारका और नगाण गांव.
- चमोली में रावणा, बोला, सिगधार और खड़ेधार गांव.
मिशन के तहत प्रत्येक गांव में SDRF के 2 जवान नियुक्त रहेंगे, जो ग्रामवासियों को कोविड से जागरूक करने के साथ ही जरूरतमंद को मास्क सैनिटाइजर भी वितरित करेंगे. प्रतिदिन गांव की रिपोर्ट कंट्रोल रूम को प्रेषित करेंगे. जवानों के पास आवश्यकता होने पर ऑक्सीजन सिलेंडर विद फ्लोमीटर की भी सुविधा है. जवान कोविड से आइसोलेट हुए ग्रामीणों को घर से बाहर न आने की भी हिदायत देंगे. साथ ही प्रतिदिन योगा प्राणायाम भी कराएंगे. SDRF टीम को पर्याप्त कोविड मेडिसिन किट भी उपलब्ध करायी गई है, जो आवश्यक होने पर जरूरतमंद को दी जाएगी.
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फिलहाल कुमाऊं मंडल से 6 और गढ़वाल मंडल से 14 गांवों को चयनित किया गया है. इस अभियान से पहले भी SDRF द्वारा कोविड से प्रभावित जनमानस की हर संभव सहायता की जा रही है. SDRF कंट्रोल रूम को प्रतिदिन ही हजारों की संख्या में आइसोलेट हुए और संक्रमित हुये व्यक्तियों की जानकारी प्राप्त होती है. जिसके पश्चात SDRF कंट्रोल रूम से सभी को व्यक्तिगत रूप से फोन कॉल की जाती है और विशेषज्ञों द्वारा तैयार प्रश्नोत्तरी के पश्चात होम टू होम टीम द्वारा संबंधित मरीज को जरूरी मदद पहुंचाई जाती है.
SDRF द्वारा प्रतिदिन ही 5 हजार से अधिक कॉल आइसोलेट हुए व्यक्तियों को किए जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त एक अन्य टीम हाई रिस्क और लो रिस्क आइसोलेट हुए व्यक्तियों की पहचान कर कोविड प्रसार की कड़ी को तोड़ने के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इसके अतिरिक्त SDRF द्वारा मैदानी जनपदों में होम-टू-होम कोविड मेडिसिन किट वितरण भी किया जा रहा है. साथ ही कोविड संक्रमित लावारिस शवों का भी अंतिम संस्कार एसडीआरएफ की टीमें करा रही हैं.