मसूरीः मॉल रोड के पुनर्निर्माण और सौंदर्यीकरण का काम प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है. बारिश की वजह से मॉल रोड पर काम नहीं हो पा रहा है, जिससे मसूरी के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. यहां जगह-जगह खुदाई से मॉल रोड पर कीचड़ ही कीचड़ फैल गया. ऐसे में लोगों का पैदल चलना भी काफी दूभर हो गया है. प्रशासन की ओर से मॉल रोड के पुनर्निर्माण के काम को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है. खुद एसडीएम नंदन कुमार और नायब तहसीलदार विनोद तिवारी प्रशासनिक टीम के साथ लगातार काम की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
मसूरी एसडीएम नंदन कुमार ने मंगलवार को एक बार फिर मॉल रोड का निरीक्षण कर अधिकारियों को पुनर्निर्माण के काम को चरणबद्ध तरीके से करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि तीन दिन से लगातार बारिश होने के कारण पुनर्निर्माण काम में खासी दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन बारिश के बावजूद भी काम को लगातार किया जा रहा है. सड़क किनारे स्थानीय लोगों की पेयजल लाइनें हैं, जिसे शिफ्ट किया जाना है. मॉल रोड के दोनों छोर से अतिक्रमण को भी हटाया जाना है, जिस पर जल्द कार्रवाई की जाएगी.
वहीं, नायब तहसीलदार विनोद तिवारी ने कहा कि मसूरी में मॉल रोड के पुनर्निर्माण का काम दिन रात किया जा रहा है. खुद एसडीएम कामों की समीक्षा कर रहे हैं. वो अपनी प्रशासनिक टीम के साथ सड़कों पर हैं. जिससे पुनर्निर्माण के काम को जल्द पूरा किया जा सके. मॉल रोड के सौंदर्यीकरण के काम को बेहतर तरीके से डिजाइन किया गया है. जब काम पूरा हो जाएगा तो मॉल रोड पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी.
आउटसोर्स पर्यावरण मित्रों की रोजाना 500 रुपए मानदेय की मांगःदेवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संघ की मसूरी शाखा ने सीएम पुष्कर धामी को ज्ञापन भेजा. ज्ञापन के जरिए सरकार की ओर से जारी शासनादेश के तहत आउटसोर्सिंग पर्यावरण मित्रों को प्रतिदिन 500 रुपए मानदेय दिए जाने की मांग की. देवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संघ के देहरादून जिला के महासचिव कृष्णा गोदियाल ने बताया कि 5 अप्रैल 2022 को सरकार ने घोषणा की थी कि प्रत्येक आउटसोर्स पर्यावरण मित्र को 500 मानदेय दिया जाएगा. चाहे वो स्वच्छता समिति के कर्मी हों या आउटसोर्स पर्यावरण मित्र हों.
इसका शासनादेश भी जारी हो गया था, लेकिन आज तक नगर पालिका मसूरी की ओर से आउटसोर्स पर्यावरण मित्रों को शासनादेश के अनुसार 500 रुपए प्रतिदिन मानदेय नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि साल 2003 में शासन की ओर से स्वच्छता समिति बनाई गई थी. जिनको वर्तमान में ठेका प्रथा के अधीन कर दिया गया है. जिसको तत्काल 2003 की तर्ज पर बहाल किया जाए. इसके अलावा उनका कहना है कि ठेका प्रथा में संशोधन कर उपनल के जरिए वर्तमान में स्वच्छता समिति के पर्यावरण मित्रों को स्थाई किया जाए और 2005 से पुरानी पेंशन प्रणाली को बहाल किया जाए.