देहरादून: उत्तराखंड में अब अगर आपके आसपास के इलाके में कहीं भूकंप आने वाला होगा तो मोबाइल पर आपको इसकी जानकारी मिल जाएगी. आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) के वैज्ञानिकों की टीम ने उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप (Earthquake Alert App) बनाया है, जो 5.5 तीव्रता या उससे अधिक का भूकंप (Earthquake) आने पर अलर्ट करेगा. बुधवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप का शुभारंभ किया.
देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड
ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. एप एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है. इस एप को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की (IIT Roorkee) द्वारा डेवलप किया गया है. ये एप भूकंप (Earthquake) से पहले लोगों को अलर्ट मैसेज भेजेगा. यह भूकंप के दौरान फंसे लोगों की लोकेशन का पता लगाने में भी मदद करेगा और संबंधित अधिकारियों को भी अलर्ट भेज देगा. उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश में भूकंप एवं आपदा जैसी स्थिति हमेशा बनती रहती है. जिसे देखते हुए उत्तराखंड भूकंप एप को लॉन्च किया गया है.
उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप की खासियत
उत्तराखंड में भूकंप आने पर मौजूदा समय में 71 सायरन और 165 सेंसर लगे हैं. ऐसे में यह एप भूकंप आने से 20 सेकेंड पहले न सिर्फ चेतावनी देगा, बल्कि भूकंप आने के बाद फंसे लोगों की भी लोकेशन भी बताएगा. इस एप पर आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक पिछले चार से काम कर रहे थे. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भूकंप आने से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा.
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भूकंप के पूर्वानुमान पर उठ रहे सवाल
इस एप पर लॉन्चिंग के बाद ही सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि देश के विभिन्न इलाकों के भूकंप संवेदी होने की वजह भारत एक ऐसी प्रणाली पर काम कर रहा है, जिससे भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सके. ताकि भूकंप के कारण जान-माल के नुकसान को कम किया जा सके. भूकंप पूर्वानुमान के सवाल पर बोलते हुए वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भूकंप वैज्ञानिक डॉ सुशील कुमार रुहेला ने बताया कि उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से जोन 4 और जोन 5 में आता है.
लिहाजा अगर जोन 4 की बात करें तो पूरे विश्व में किसी भी देश में अभी तक भूकंप के पूर्वानुमान की प्रणाली नहीं है. उत्तराखंड सरकार के अर्ली वार्निंग सिस्टम एप्लीकेशन भूकंप से निकलने वाली वेब कितने सेकेंड में लोगों तक पहुंचेगी, उसकी जानकारी देगा. ऐसे में लोगों को करीब 15 से 25 सेकंड का ही टाइम मिलेगा, जो जान-माल बचाने के लिए बेहद कम समय है. क्योंकि भूकंप की तरंगें 8 किलोमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से आगे बढ़ती हैं.
लिहाजा, अगर प्रदेश में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट, बिल्डिंग आदि को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो ऐसे में वहां पर भूकंप के दृष्टिगत ऑटो सिस्टम लगाया जाए. क्योंकि इस एक एप मात्र से जान-माल के नुकसान को कम नहीं किया जा सकता. लिहाजा जो इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उनको भूकंप से बचाने के लिए ऑटो सिस्टम लगाए जाने की जरूरत है. साथ ही सुशील रुहेला ने बताया कि अर्ली वार्निंग सिस्टम से जनता को सतर्क नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस सिस्टम से जनता को बहुत कम समय मिलेगा.
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