उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

चमोली के सुमना में ग्लेशियर टूटने से नहीं, एवलॉन्च से आयी आपदा, जानिए क्या कहते हैं वैज्ञानिक

सीमांत जिला मुख्यालय चमोली के रैणी गांव का भयावह मंजर लोग भुला भी नहीं पाए थे कि एक बार फिर ग्लेशियर टूटने की घटना ने देश-दुनिया को हिला कर रख दिया है. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कैंप के पास एवलांच की वजह से भारी जान-माल का नुकसान हुआ है.

Snow avalanche
स्नो एवलांच

By

Published : Apr 24, 2021, 2:18 PM IST

Updated : Apr 24, 2021, 3:14 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा क्षेत्र से लगे सुमना में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कैंप के पास स्नो एवलांच की वजह से काफी जान-माल का नुकसान हुआ है. रेस्क्यू के लिए भारतीय सेना के चीता हेलीकॉप्टर सेना के जोशीमठ हेलीपैड पहुंच गए हैं. वहीं वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर ने चमोली ग्लेशियर टूटने को लेकर अपने विचार साझा किए हैं. उन्होंने बताया कि किस तरह ग्लेशियर टूटने से तबाही मचती है.

चमोली ग्लेशियर हादसे पर राज्य सरकार समेत तमाम दल, राहत बचाव कार्य में जुटे हुए हैं. हादसे में 391 लोगों को रेस्क्यू किया गया है और 8 शव बरामद हुए हैं और 6 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. वहीं चमोली के सुमना में आयी आपदा पर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर कालाचंद साईं ने ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत करते हुए बताया कि सुमना में आपदा स्नो एवलांच की वजह से आयी है. साथ ही बताया कि पिछले कुछ दिनों से प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी हुई है. ऐसे में उस क्षेत्र में बर्फ सरककर नीचे आ गयी, जिससे यह आपदा आयी है. साथ ही बताया कि नीचे काम भी चल रहा था, जिस वजह से लोगों पर एक साथ सैकड़ों टन बर्फ गिरने से वो लोग इसकी चपेट में आ गए.

पढ़ें-चमोली ग्लेशियर हादसा: CM तीरथ ने आपदाग्रस्त क्षेत्र का लिया जायजा, रेस्क्यू को पहुंचा चीता हेलीकाप्टर

साथ ही बताया कि ऐसे क्षेत्रों में इस प्रकार का एवलांच आना आम बात है, क्योंकि इससे पहले भी फरवरी महीने में चमोली जिले में एवलांच आने और हैंगिंग ग्लेशियर टूटने की वजह से आपदा आई थी. लेकिन वर्तमान समय में चमोली जिले में जो आपदा आई है वह सिर्फ स्नो एवलांच आने की वजह से ही आई है. क्योंकि जब बर्फबारी होती है उसके बाद बर्फ को जमने में काफी समय लगता है. ऐसे में नीचे चल रहे कंस्ट्रक्शन की वजह से और जिस जगह पर बर्फबारी हुई है वहां स्लोप होने की वजह से सारी बर्फ नीचे की ओर खिसक गयी. जिसके चलते जान-माल का नुकसान हुआ है.

साथ ही वाडिया संस्थान के डायरेक्टर कालाचंद साईं ने बताया कि वर्तमान समय में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जिसके चलते फिलहाल कोई टीम क्षेत्र के लिए रवाना नहीं की गयी है. सरकार ने पहले ही कार्यालयों को बंद रखने के निर्देश दिए हैं. लिहाजा अभी इस आपदा पर विस्तृत जानकारी एकत्र नहीं हो पाई है. हालांकि, अन्य वैज्ञानिकों से बातचीत कर यह जानकारी मिली है कि उस क्षेत्र में ग्लेशियर काफी ऊंचाई पर है. ऐसे में उस क्षेत्र में ग्लेशियर नहीं टूटा होगा, ऐसा सभी वैज्ञानिकों ने संभावना जताई है.

Last Updated : Apr 24, 2021, 3:14 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details