देहरादून:वैली ऑफ वर्ड (Valley of Words) द्वारा हिन्दी के मूल स्वरूप और महत्व के प्रति युवा पीढ़ी को जागृत करने के लिए दो दिवसीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन की शुरुआत (Beginning of two-day Hindi Sahitya Sammelan) की गई. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का आयोजन देहरादून इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (Dehradun Indian Institute of Petroleum) में की गई. इस कार्यक्रम का नाम शब्दावली रखा गया है.
वैली ऑफ वर्ड्स, सीएसआईआर और आईआईपी के संयुक्त प्रयासों से दो दिवसीय कार्यक्रम शब्दावली की शुरुआत की हुई है. कार्यक्रम का शुभारंभ द्वीप प्रज्वलन सरस्वती वंदना के साथ हुई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री उपस्थित रहे. मंच पर लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, डॉ संजीव चोपड़ा, डॉ. अंजन खरे, सोमेश्वर पांडेय इन सभी विद्वानों ने उनका साथ दिया. मंच का संचालन सोमेश्वर पांडेय ने किया.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर लगा प्रतिबंध, आदेश जारी इस कार्यक्रम में उपस्थिति सभी लेखकों का स्वागत पौधा देकर किया गया. जिनमें रणेंद्र, शिरीष खरे, नवीन चौधरी, मिहिर सासवडकर, आशीष कौल आदि प्रमुख लेखक और अनुवादक शामिल थे. उसके बाद सभी विद्वानों ने युवाओं और अन्य सभी लोगों को संबोधित किया. अपने संबोधन में डॉ अंजन रे ने 'वैली ऑफ वर्ड्स' की महत्ता के बारे में बताया. इस दौरान उन्होंने कहा आईआईपी, सीएसआईआर और वैली ऑफ वर्ड्स के इस साझे कार्यक्रम का नाम शब्दावली न होकर शब्दा-वैली होना चाहिए.
वहीं इस मौके पर 'तद्भव' पत्रिका का विमोचन किया गया. तद्भव के संपादक अखिलेश हैं. अखिलेश एक लेखक हैं. वह वृतांत, समीक्षाएं और संस्मरण भी लिखते हैं. अखिलेश ने कहा वे खुद को बेहद भाग्यशाली समझते हैं कि वे बतौर संपादक इस पत्रिका और वैली ऑफ वर्ड्स से जुड़ पाए. वहीं, प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने अपने वक्तव्य में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन सभी पुरुषार्थ पर अधिक जानकारी साझा की.