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Published : Jun 29, 2019, 11:36 PM IST

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जीरो टॉलरेंसः मत्स्य विभाग के अफसरों ने खूब डकारा सरकारी खजाना, 'पानी' में पीएमओ के आदेश

ये मामला प्रधानमंत्री कार्यालय के सज्ञान में भी है. पीएमओ ने शासन को इसमें अग्रीम कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं, बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. उल्टा संबंधित अधिकारी को प्रमोशन देने की तैयारियां की जा रही है.

मत्स्य विभाग

देहरादून:राज्य का मत्स्य विभाग वित्तीय अनियमितताओं की भेंट चढ़ गया है. ताजा मामला विभाग की एक जांच रिपोर्ट से सामने आया है. जिसमें सालों से सरकारी धन को समय से सरकारी खजाने में जमा न कर लंबे समय तक उसके निजी उपयोग की संभावनाएं जताई गई हैं.

उत्तराखंड में जीरो टॉलरेंस सरकार की नाक के नीचे सरकारी राजस्व को चुना लगाया जा रहा है. शासन के अधिकारी सब देखकर भी अनजान हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय की बात तक शासन नहीं मान रहा है. वित्तीय अनियमितताओं पर सरकारी मुहर से जुड़ी ये खबर ईटीवी भारत के पास है.

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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर त्रिवेंद्र सरकार का डंडा अधिकारियों को चाबुक लगने के बजाय सहारा देने वाला बन गया है. राज्य में भ्रष्टाचार या वित्तीय अनियमितता करना जितना आसान दिखता है उससे भी आसान इन मामलों से बचना हो गया है. मत्स्य विभाग में काशीपुर की हेमपुर हैचरी का मामला तो कुछ यही बयां कर रहा है. विभागीय जांच से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि कैसे सालों साल तक मत्स्य विभाग में काशीपुर की हेमपुर हैचरी वित्तीय अनियमितताओं का अड्डा बनी रही और संबंधित अधिकारी कैसे इस वित्तीय अनियमित्ता में सहभागिता निभाते रहे.

जांच आख्या बताती है कि साल 2004 से 2014 तक हेमपुर हैचरी में मत्स्य बीज विक्रय से प्राप्त नकद धनराशि को बिना वजह ही लंबे समय तक रोककर सरकारी खाते में जमा नहीं करवाया गया. यही नहीं जांच अधिकारी ने जांच आख्या में नकद बिक्री के इस सरकारी धन का निजी रूप से उपयोग करने की भी संभावनाएं जताई है.

मत्स्य विभाग के अफसरों ने खूब डकारा सरकारी खजाना

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खास बात यह है कि जांच अधिकारी ने न केवल प्रभारी सहायक निदेशक एसके छिम्वाल को अनियमितता का दोषी माना है, बल्कि सरकार को हुए ब्याज की हानि के लिए देहरादून मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की संलिप्तता पर भी संभावनाएं जताई है. चौकाने वाली बात यह है कि कुमाऊं कमिश्नर ने भी सचिव मत्स्य पालन मीनाक्षी सुंदरम को इस संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं, जिसका आज तक पालन नहीं हुआ.

ये मामला प्रधानमंत्री कार्यालय के सज्ञान में भी है. पीएमओ ने शासन को इसमें अग्रीम कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं, बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. उल्टा संबंधित अधिकारी को प्रमोशन देने की तैयारियां की जा रही है. हालांकि लोक सेवा आयोग ने भी प्रमोशन को लेकर अधियाचन पर एसके छिम्वाल पर लगे अनियमितता के आरोपों का जिक्र कर उनके पिछले रिकॉर्ड देखे जाने की बात कही है.

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ईटीवी भारत संबंधित मामले में हुई जांच के प्रपत्रों के आधार पर जीरो टॉलरेंस सरकार को आईना दिखाने की कोशिश कर रहा है. सवाल यह है कि जब मामले में जांच हो चुकी है और तमाम अधिकारियों को इसका संज्ञान है, फिर भी अधिकारी के ऊपर कार्रवाई नहीं हुई?

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