देहरादून:राज्य का मत्स्य विभाग वित्तीय अनियमितताओं की भेंट चढ़ गया है. ताजा मामला विभाग की एक जांच रिपोर्ट से सामने आया है. जिसमें सालों से सरकारी धन को समय से सरकारी खजाने में जमा न कर लंबे समय तक उसके निजी उपयोग की संभावनाएं जताई गई हैं.
उत्तराखंड में जीरो टॉलरेंस सरकार की नाक के नीचे सरकारी राजस्व को चुना लगाया जा रहा है. शासन के अधिकारी सब देखकर भी अनजान हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय की बात तक शासन नहीं मान रहा है. वित्तीय अनियमितताओं पर सरकारी मुहर से जुड़ी ये खबर ईटीवी भारत के पास है.
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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर त्रिवेंद्र सरकार का डंडा अधिकारियों को चाबुक लगने के बजाय सहारा देने वाला बन गया है. राज्य में भ्रष्टाचार या वित्तीय अनियमितता करना जितना आसान दिखता है उससे भी आसान इन मामलों से बचना हो गया है. मत्स्य विभाग में काशीपुर की हेमपुर हैचरी का मामला तो कुछ यही बयां कर रहा है. विभागीय जांच से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि कैसे सालों साल तक मत्स्य विभाग में काशीपुर की हेमपुर हैचरी वित्तीय अनियमितताओं का अड्डा बनी रही और संबंधित अधिकारी कैसे इस वित्तीय अनियमित्ता में सहभागिता निभाते रहे.
जांच आख्या बताती है कि साल 2004 से 2014 तक हेमपुर हैचरी में मत्स्य बीज विक्रय से प्राप्त नकद धनराशि को बिना वजह ही लंबे समय तक रोककर सरकारी खाते में जमा नहीं करवाया गया. यही नहीं जांच अधिकारी ने जांच आख्या में नकद बिक्री के इस सरकारी धन का निजी रूप से उपयोग करने की भी संभावनाएं जताई है.