देहरादूनः कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के सरकारी आवास पर श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने वाले श्रीराम कार सेवकों के सम्मान एक कार्यक्रम का आयोजन किया. जिसमें प्रदेश के तमाम क्षेत्रों से आए श्रीराम कार सेवकों ने अपने-अपने यादों को साझा किया. वहीं, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि हम सब लोग इतिहास पड़ते हैं, लेकिन कुछ लोग वो होते हैं, जो इतिहास लिखते हैं. श्रीराम कार सेवक, इतिहास बनाने वालों में से हैं. क्योकि, इन्होंने राम जन्म भूमि आंदोलन के दौरान कार सेवा कर एक इतिहास बनाया है.
श्रीराम कार सेवक मिलन कार्यक्रम. श्रीराम कार सेवक मिलन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन के दौरान कार सेवा करके श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर इतिहास बनाया है. जिसे भावी पीढ़ी आगे चलकर इसका इतिहास पड़ेगी. श्रीराम की अगाध शक्ति है, जो सारी संभावनाओं को लेकर पैदा हुए हैं. मनुष्य जहां तक पहुंच सकता है, मानव से लेकर अध्यात्म तक सारी शक्तियों को लेकर श्रीराम पैदा हुए हैं.
दीप प्रज्वलित करते सतपाल महाराज. ये भी पढ़ेंःराम मंदिर के इतिहास और आंदोलनों की गवाह रही देवभूमि, भूमि पूजन के बाद बढ़ा उत्साह
श्रीराम का चरित्र निर्विकार, निष्छल, एवं सकारात्मकता से परिपूर्ण रहा है. महाराज ने कहा कि जब श्रीराम आयोध्या की सीमा को पार करके आगे बढ़ते हैं तो राम का रूपातंरण हो जाता है, वो इतनी सक्षमता पाते हैं कि सुग्रीव को गले लगाते हैं, हनुमान को प्रेम करते हैं, केवट और सबरी को हृदय से लगाते हैं. इससे स्पष्ट है कि निश्चित रूप से भगवान श्रीराम अपने आप में बहुत ही शक्तिबुद्ध हैं. साथ ही कहा कि आप सभी के प्रयासों और संघर्षों के परिणाम स्वरूप आज श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण संभव हो पाया है. इसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं.
श्रीराम कार सेवकों को संबोधित कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज. करते कार सेवकों को संबोधित करते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि निश्चित रूप से श्रीराम मंदिर विश्व में एक इतिहास बनेगा. आप सभी की त्याग और तपस्या के परिणाम स्वरूप शीघ्र की हमें भव्य श्रीराम मंदिर के साक्षात दर्शन हो पाएंगे. वहीं, कार्यक्रम में मौजूद विश्व हिंदू परिषद् के राष्ट्रीय मंत्री रविदेव आनंद ने कहा कि सभी कार सेवकों ने श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया था, जिसके कारण आज यह कार्य संभव हो पाया है.